इन-स्पेस का नया 'टेक्नोलॉजी अडॉप्शन फंड' स्पेस स्टार्टअप को देगा बढ़ावा
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नई दिल्ली, 20 फरवरी (आईएएनएस)। अंतरिक्ष विभाग की शाखा, भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) द्वारा पेश किया गया 500 करोड़ रुपये का नया ‘टेक्नोलॉजी अडॉप्शन फंड’ (टीएएफ) भारत के अंतरिक्ष स्टार्टअप के विकास के साथ-साथ उनकी तकनीकी क्षमताओं का समर्थन करेगा।
टीएएफ का उद्देश्य भारत में स्पेस टेक्नोलॉजी के विकास को बढ़ावा देना है, जबकि देश की आयातित समाधानों पर निर्भरता को कम करना है।
टीएएफ घरेलू रिसर्च और विकास में निवेश करेगा और अंतरिक्ष उद्योग में भारत को एक विश्वसनीय वैश्विक भागीदार के रूप में स्थापित करने के लिए सरकारी निकायों और निजी क्षेत्र के बीच एक मजबूत साझेदारी बनाने में भी मदद करेगा।
इन-स्पेस के अध्यक्ष डॉ. पवन गोयनका ने कहा, “यह फंड स्टार्टअप और एमएसएमई के लिए परियोजना लागत का 60 प्रतिशत और बड़े उद्योगों के लिए 40 प्रतिशत तक वित्तीय सहायता प्रदान करेगा, जिसमें प्रति परियोजना अधिकतम 25 करोड़ रुपये की फंडिंग कैप होगी।”
गोयनका ने कहा कि यह फंड “प्रारंभिक चरण के विकास और व्यावसायीकरण के बीच की खाई को पाटने के लिए इनोवेटर को सक्षम बनाने के लिए बनाया गया है।”
उन्होंने कहा, “यह सहायता कंपनियों को अपनी तकनीकों को रिफाइन करने, उत्पादन प्रक्रियाओं को बढ़ाने, भारत और विदेश दोनों में बाजार की मांगों को पूरा करने में सक्षम बनाएगी। हमारा ध्यान प्रैक्टिकल समाधानों को सक्षम करने पर है, जिन्हें अंतरिक्ष इकोसिस्टम में जल्दी से इंटीग्रेट किया जा सकता है।”
यह फंड एडवांस्ड स्पेस टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने और आर्थिक विकास के साथ-साथ रोजगार सृजन में योगदान करने में मदद करेगा।
यह फंड एनजीई को आंशिक फंडिंग भी प्रदान करेगा। वित्तीय सहायता के अलावा, यह पहल तकनीकी मार्गदर्शन और सलाह के अवसर प्रदान करेगी, जो कंपनियों को उत्पाद विकास चरण के दौरान चुनौतियों का सामना करने में मदद करेगी।
भारतीय अंतरिक्ष संघ (आईएसपीए) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल एके भट्ट (सेवानिवृत्त) ने पहल का स्वागत करते हुए कहा, “इन-स्पेस द्वारा इस दूरदर्शी फंड की शुरुआत स्टार्ट-अप को अवधारणा से व्यावसायीकरण तक की अपनी यात्रा को तेज करने में सक्षम बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।”
उन्होंने कहा कि भारत अंतरिक्ष उद्योग के लिए अभूतपूर्व समाधान विकसित करने वाले अग्रणी स्टार्टअप की बढ़ती संख्या को देख रहा है।
–आईएएनएस
एसकेटी/एबीएम