डीजल इंजन नावों के धुएं से काशी के घाटों की खूबसूरती को नजर लग रही है। दशाश्वमेध, शीतला, चेतसिंह किला घाट सहित 12 से ज्यादा घाटों की दीवारों पर सैकड़ों काले धब्बे (ब्लैक सर्किल) लग रहे हैं। साथ ही यहां आने वाले सैलानियों की सेहत भी धुएं की वजह से खराब हो रही है।
अपनी खूबसूरती से सैलानियों को रिझाने वाले अर्धचंद्राकार घाटों की खूबसूरती पर कार्बन की परत कालिख पोत रही है। वह है गंगा में दौड़ रहीं डीजल इंजन नावों का धुआं। यह खुलासा पर्यावरण विशेषज्ञों की टीम ने शोध के बाद प्रशासन को सौंपी रिपोर्ट में किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, दशाश्वमेध, शीतला, चेतसिंह किला घाट सहित 12 से ज्यादा घाटों की दीवारों पर सैकड़ों काले धब्बे (ब्लैक सर्किल) लग रहे हैं। साथ ही यहां आने वाले सैलानियों की सेहत भी धुएं की वजह से खराब हो रही है।
इन नावों से लीकेज के बाद निकलने वाला ईंधन गंगा की सतह पर तैर रहा है। इससे गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालुओं और जलीय जीवों के जीवन पर भी संकट उत्पन्न हो रहा है। दरअसल, देव दीपावली से पहले प्रशासन ने गंगा में जल परिवहन की संभावनाओं पर विभिन्न विभागों के विशेषज्ञों की रिपोर्ट तैयार कराई थी।
इसमें डीजल इंजन वाली नावों के संचालन से घाटों, सैलानियों और जलीय जीवों को हो रहे नुकसान पर रिपोर्ट दी गई है। इसके मुताबिक कार्बन की परत जमा होने से घाटों पर बने धब्बे के कारण इसकी एकरूपता समाप्त हो रही है। साथ ही घाटों के मूल रंगरूप को बचाते हुए इस कालिख को हटाना मुश्किल हो रहा है।