दिलो दिमाग में अमिट रूप से चस्पा था राम मंदिर का निर्माण…

बात साल 2014 की है। गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ 96 साल के हो चुके थे। उम्रजनित रोगों के कारण उनका स्वास्थ्य लगातार गिर रहा था। जुलाई में स्थित गंभीर होने पर योगी जी ने उनको गुड़गांव के वेदांता में भर्ती कराया। तब उनको देखने विश्व हिन्दू परिषद के नेता अशोक सिंघल आए। दोनों देर तक एक दूसरे को देखते रहे, अंत में गुरुदेव ने सिर्फ इतना कहा, “अशोकजी क्या मैं मंदिर का निर्माण देख नहीं पाऊंगा”?

याददाश्त कमजोर थी तब भी उनको मंदिर याद था

चूंकि यह बड़े महाराज (प्यार से ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ को लोग यही कहते थे) का एक ही सपना था,उनके जीते जी अयोध्या में जन्मभूमि पर भव्य और दिव्य मंदिर का निर्माण उनके जीववंकाल में हो। लिहाजा जब उम्र साथ छोड़ने लगी तो राम मंदिर आंदोलन से जुड़ा कोई भी महत्वपूर्ण व्यक्ति उनके पास आता था तो यह सवाल वह उनसे कई बार पूछते थे। तब भी जब वह बढ़ती उम्र की वजह से भूलने लगे थे। क्योंकि यह एक सवाल था, एक ऐसा सपना था। इस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने इतना संघर्ष किया था कि यह उनके दिलो दिमाग पर अमिट रूप से चस्पा हो गया था।

हर मिलने वाले से करते थे सामाजिक समरसता और मंदिर निर्माण की बात

ऐसे ही एक वाकए का संयोगन मैं भी साक्षी रहा। वाकया करीब डेढ़ दशक पहले का होगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघ चालक रहे सुदर्शन जी का गोरखपुर में किसी कार्यक्रम में आना हुआ। उम्रजनित कारणों से महंत अवेद्यनाथ की तबीयत खराब रहती थी। लिहाजा उनका कहीं आना जाना नहीं होता था। ऐसे में उस समय संघ या भाजपा का कोई भी बड़ा पदाधिकारी या नेता गोरखपुर आता था तो बड़े महाराज से मिलने का समय निकाल ही लेता था। इसी क्रम में सुदर्शन जी का गोरखनाथ स्थित मठ में आना हुआ।

Show More
Back to top button