कर्नाटक में हनुमान ध्वज विवाद के बीच पंचायत विकास अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है। मांड्या जिला पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शेख तनवीर आसिफ ने सोमवार को एक आदेश में कहा कि अनुमति केवल केरागोडु गांव में भारतीय तिरंगा फहराने के लिए दी गई थी। हालांकि पीडीओ ने न केवल लोगों को हनुमान ध्वज फहराने का मौका दिया बल्कि इसे हटाने के लिए भी कदम नहीं उठाया।
मांड्या में 108 फीट ऊंचे ध्वजस्तंभ से हनुमान ध्वज हटाने को लेकर तनाव बढ़ता ही जा रहा है। इस बीच केरागोडु ग्राम पंचायत विकास अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है। मांड्या जिला पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शेख तनवीर आसिफ द्वारा सोमवार को एक आदेश जारी किया गया।
इस आदेश में कहा गया कि अनुमति केवल केरागोडु गांव में भारतीय तिरंगा फहराने के लिए दी गई थी। हालांकि, पीडीओ ने न केवल लोगों को हनुमान ध्वज फहराने का मौका दिया, बल्कि इसे हटाने के लिए भी कदम नहीं उठाया। बता दें कि 28 जनवरी को पंचायत उपमंडल अधिकारी ने तहसीलदार और पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर झंडा हटा दिया था, लेकिन इससे कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हुई। इस मामले में पीडीओ को जिम्मेदार ठहराया गया है।
हनुमान ध्वज को हटाने पर विरोध प्रदर्शन
हनुमान ध्वज को हटाने और उसकी बहाली के खिलाफ विपक्षी भाजपा और उसके सहयोगी जद (एस) ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया जिसके बाद सोमवार को सुरक्षा बढ़ा दी गई। पुलिस ने रविवार को केरागोडु गांव में भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हल्का लाठीचार्ज किया था और बाद में प्रशासन के अधिकारियों की मौजूदगी में हनुमान ध्वज की जगह राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया। सोमवार को, प्रदर्शनकारियों ने ‘जय श्री राम’ के नारों के बीच भगवा झंडे थामे।
केरागोडु से मांड्या के जिला मुख्यालय में उपायुक्त कार्यालय तक लगभग 14 किमी की दूरी तय करते हुए मार्च किया। उन्होंने कांग्रेस सरकार के खिलाफ नारे भी लगाये। भाजपा नेता सी टी रवि और प्रीतम गौड़ा और जद (एस) नेता सुरेश गौड़ा और के अन्नदानी प्रदर्शनकारियों में शामिल हुए।
CM सिद्धारमैया का भाजपा पर आरोप
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, कुछ कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और अन्य कांग्रेस नेताओं की तस्वीर वाले एक फ्लेक्स बोर्ड को गिराने की भी कोशिश की। बाद में, बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी उपायुक्त कार्यालय के पास एकत्र हुए, जहां बड़ी संख्या में पुलिस तैनात की गई और बैरिकेड लगाए गए।
इस मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने विपक्षी भाजपा और जद (एस) पर आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए इस मुद्दे पर लोगों को भड़काने की कोशिश करने का आरोप लगाया है।