तेलंगाना उच्च न्यायालय ने ग्रुप-I परीक्षा परिणाम रद्द किया, पुनर्मूल्यांकन का दिया आदेश


हैदराबाद, 9 सितंबर (आईएएनएस)। तेलंगाना उच्च न्यायालय ने मंगलवार को ग्रुप-1 मुख्य परीक्षा पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए परिणाम रद्द कर दिए और उत्तर पुस्तिकाओं के पुनर्मूल्यांकन का आदेश दिया।

न्यायमूर्ति नामवरपु राजेश्वर राव ने सामान्य रैंकिंग सूची और चयनित उम्मीदवारों की सूची को रद्द कर दिया।

उच्च न्यायालय ने कुछ उम्मीदवारों की याचिकाओं पर यह आदेश सुनाया, जिनमें परीक्षा के संचालन और उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में अनियमितताओं का आरोप लगाया गया था।

तेलंगाना राज्य लोक सेवा आयोग (टीएसपीएससी) ने 21 से 27 अक्टूबर, 2024 के बीच ग्रुप 1 मुख्य परीक्षा आयोजित की थी। जिसमें लगभग 30,000 छात्र शामिल हुए थे। परिणाम 10 मार्च, 2025 को घोषित किए गए और उसके बाद, एक सामान्य रैंकिंग सूची और चयनित उम्मीदवारों की सूची जारी की गई।

जुलाई में अपना आदेश सुरक्षित रखने वाली एकल न्यायाधीश पीठ ने मंगलवार को यही आदेश सुनाया। उसने टीएसपीएससी को आठ महीने में पुनर्मूल्यांकन और परिणाम घोषित करने की प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया।

अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि उत्तर पुस्तिकाओं का पुनर्मूल्यांकन नहीं किया जाता है, तो मुख्य परीक्षा रद्द कर दी जाएगी और प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले सभी उम्मीदवारों के लिए पुनर्परीक्षा आयोजित की जाएगी।

इसने पाया कि उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में संजय सिंह बनाम यूपीएससी मामले में सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया गया।

अदालत ने ‘मॉडरेशन’ प्रणाली के माध्यम से पुनर्मूल्यांकन का आदेश दिया, जो प्रतियोगी परीक्षाओं में मूल्यांकन की एक स्वीकृत पद्धति है।

सुनवाई के दौरान, अदालत ने गैर-तेलुगु मूल्यांकनकर्ताओं के उपयोग पर सवाल उठाया था। राज्य के बाहर से मूल्यांकनकर्ताओं की नियुक्ति के टीजीपीएससी के फैसले पर, न्यायाधीश ने पूछा कि क्या वे तेलुगु में लिखी गई उत्तर पुस्तिकाओं का प्रभावी ढंग से मूल्यांकन कर सकते हैं।

उच्च न्यायालय के आदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के नेता और पूर्व मंत्री टी. हरीश राव ने इसे राज्य सरकार के मुंह पर तमाचा करार दिया। उन्होंने ‘एक्स’ पोस्ट में लिखा, “परीक्षा केंद्र आवंटन, हॉल टिकट जारी करने, परीक्षा परिणामों में संदेह और कदाचार के आरोपों पर संदेह की पृष्ठभूमि में, उच्च न्यायालय द्वारा आज दिया गया फैसला राज्य सरकार के मुंह पर तमाचा है।”

हरीश राव ने आरोप लगाया कि सरकार त्रुटिपूर्ण तरीके से परीक्षा आयोजित करके छात्रों के जीवन से खिलवाड़ कर रही है। उन्होंने उच्च न्यायालय के आदेश पर मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी से जवाब मांगा।

उन्होंने कहा, “जल्दबाजी में परीक्षा आयोजित करने और अनियमितताओं में लिप्त होने की आपकी लापरवाही के कारण छात्र और बेरोजगार परेशान हैं। खोखले वादे करने वाली कांग्रेस सरकार में परीक्षाएं ठीक से आयोजित करने की बुनियादी क्षमता भी नहीं है।”

टीजीएसपीएससी ने पिछले साल अक्टूबर में राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में ग्रुप-I के 563 पदों को भरने के लिए ग्रुप-I मुख्य परीक्षाएं आयोजित की थीं, जो आरक्षण नियमों में बदलाव करने वाले एक सरकारी आदेश पर विवाद के बीच हुई थीं।

तेलंगाना उच्च न्यायालय ने परीक्षा स्थगित करने का आदेश देने से इनकार कर दिया था और सर्वोच्च न्यायालय ने भी उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था।

कुल 31,383 उम्मीदवारों ने परीक्षा के लिए आवेदन किया था। जून में आयोजित प्रारंभिक परीक्षा में बैठने वाले उम्मीदवारों की संख्या लगभग 3.02 लाख थी।

तेलंगाना राज्य के गठन के बाद यह पहली बार था जब ग्रुप-I मुख्य परीक्षा आयोजित की गई थी। पिछली बार ये परीक्षाएं 2011 में आयोजित की गई थीं।

ग्रुप-1 की प्रारंभिक परीक्षाएं पेपर लीक और 2022 व 2023 में नियमों का पालन न करने और अनियमितताओं के कारण कानूनी लड़ाइयों से विवादों में रही हैं।

विधानसभा चुनाव 2023 में चुनावी भाषणों में कांग्रेस ने वादा किया था कि सरकार बनते ही रिक्तियों को भरने के लिए ग्रुप-1 की मुख्य परीक्षाएं और अन्य प्रतियोगी परीक्षाएं आयोजित कराई जाएंगी।

–आईएएनएस

केआर/


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