मेंटल हेल्थ के लिए हर घर में योग पहुंचाना लक्ष्य : जग्गी वासुदेव


नई दिल्ली, 31 जुलाई (आईएएनएस)। सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने बुधवार को कहा कि मेंटल हेल्थ की समस्या पूरी दुनिया में बढ़ रही है। भारत में हर तीन मिनट में एक व्यक्ति आत्महत्या कर रहा है। खासकर, छात्रों में यह समस्या देखने को मिल रही है। हमें इस पर ध्यान देने की जरूरत है।

आईएएनएस से बात करते हुए ईशा फाउंडेशन के संस्थापक और प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु ने कहा, “हमें हमारे समाज, हमारी शिक्षा नीति, हमारी आर्थिक नीति सभी के बारे में सोचना होगा। छात्र शिक्षा व्यवस्था की वजह से आत्महत्या कर रहे हैं, किसान आर्थिक व्यवस्था की वजह से आत्महत्या कर रहे हैं। ये चीजें रातों-रात नहीं बदल सकतीं, लेकिन हम लोगों से व्यक्तिगत रूप से मिल सकते हैं और बात कर सकते हैं।”

उन्होंने कहा कि हमारी सभ्यता में हमेशा से स्वस्थ मन को प्राथमिकता दी गई है। इसके पीछे विज्ञान है। आप इसे योग के रूप में देख सकते हैं। लेकिन, वस्तुत: यह आंतरिक विज्ञान है। दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि पिछली कुछ पीढ़ियों में इसका ह्रास हुआ है, लेकिन प्रधानमंत्री ने योग को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित किया है, अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है। शायद यह पहला मौका है, जब कोई वैश्विक नेता सड़क पर आम लोगों के साथ योग करता है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है। इससे योग अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काफी लोकप्रिय हुआ है। मैं दुनिया में जहां भी जाता हूं, लोगों में योग को लेकर जबरदस्त उत्साह दिखाई देता है, लेकिन भारत में इसका विकास होना बाकी है।

सद्गुरु ने कहा कि हमें योग को किताबी ज्ञान से बाहर निकालकर आसान तरीके से लोगों तक पहुंचाने की जरूरत है। हम लोगों तक अपनी संसाधनों के माध्यम से पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। मैं चाहता हूं कि योग का सबसे साधारण और आसान स्वरूप हर घर में अभ्यास किया जाए। किसी को भी योग सीखने के लिए किसी गुरु के पास न जाना पड़े। जैसे मां बच्चे को ब्रश करना सिखाती है, उसी तरह उसे योग का साधारण ज्ञान होना चाहिए। यह मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद अहम है।

उन्होंने कहा कि मिरेकल ऑफ माइंड कार्यक्रम के तहत हम उसी प्रक्रिया पर काम कर रहे हैं और अगले 2 साल में हमारा लक्ष्य 3 बिलियन लोगों तक पहुंचना है। हम उन्हें बताना चाहते हैं कि योग आपका है। आप इसे अपनी अगली पीढ़ी को दे सकते हैं। आपको किसी का इंतजार नहीं करना है। अगर इस समय हम समाज को नहीं बदल सके तो इसका अर्थ यह है कि हमारे हृदय में प्रेम नहीं है। मैं ऐसा बिल्कुल नहीं चाहता।

–आईएएनएस

पीएके/डीकेपी


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