नई दिल्ली, 3 जनवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राज्य जेल मैनुअल में जाति आधारित भेदभाव को उजागर करने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर केंद्र और 11 राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया।
प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई.चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय और उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पंजाब, ओडिशा, झारखंड, केरल, तमिलनाडु और महाराष्ट्र की राज्य सरकारों से जवाब मांगा।
पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे। पीठ ने मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सहायता मांगी।
मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद होगी। इस बीच, शीर्ष अदालत ने वरिष्ठ वकील एस. मुरलीधर से राज्यों के जेल मैनुअल का संकलन बनाने को कहा।
अधिवक्ता प्रसन्ना एस. के जरिए दायर याचिका में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि थेवर, नादर और पल्लार को तमिलनाडु के पलायमकोट्टई सेंट्रल जेल में अलग-अलग अनुभाग आवंटित किए गए हैं, जो “बैरक के जाति-आधारित अलगाव का एक स्पष्ट उदाहरण” है।
याचिका में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल जेल संहिता में कहा गया है कि जेल में काम जाति के आधार पर किया जाना चाहिए, जैसे कि खाना पकाने का काम प्रमुख जातियों द्वारा किया जाएगा और सफाई का काम एक विशेष जाति के लोगों द्वारा किया जाएगा।
याचिका में ऐसे मैनुअल और जेल प्रथाओं को संविधान के अनुरूप लाने के लिए शीर्ष अदालत से उचित निर्देश देने की मांग की गई है।
–आईएएनएस
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