21 साल बाद पृथ्वी से टकराया सबसे मजबूत सौर-तूफान, मोबाइल और इंटरनेट सिस्टम पड़ेगा ठप्प

21 साल बाद पृथ्वी से टकराया सबसे मजबूत सौर-तूफान, मोबाइल और इंटरनेट सिस्टम पड़ेगा ठप्प

एक मजबूत सौर तूफान हमारी पृथ्वी से टकराया है। इस तूफान को भू-चुंबकीय तूफान (geomagnetic solar storm) के नाम से जाना जाता है।

इस तूफान का असर नेविगेशन, संचार और रेडियो सिग्नलों पर पड़ सकता है। इस तूफान का असर पूरे हफ्ते जारी रह सकता है। इस तूफान को 2003 के बाद से सबसे खतरनाक तूफान माना जा रहा है।

एलन मस्क ने भी चेताया

इसी कड़ी में स्टारलिंक सैटेलाइट (Starlink satellites) के ऑनर एलन मस्क ने अपने ऑफिशियल एक्स हैंडल से एक लेटेस्ट पोस्ट जारी किया है।

एलन मस्क अपने इस पोस्ट में जियोमैग्नेटिक सौर-तूफान (geomagnetic solar storm) को एक बड़ा तूफान बताते हैं। वे कहते हैं कि यह लंबे समय बाद एक बड़ा तूफान है। स्टारलिंक सैटेलाइट बहुत दबाव में है। हालेांकि, हम अभी भी टिके हुए हैं।

मस्क अपने इस पोस्ट में जियोमैग्नेटिक सौर-तूफान का तीन घंटों का डेटा शेयर करते हैं, जो कि 9 मई 2024 को शुरू हुआ था। मस्क ने स्पेस वैदर प्रिडिक्शन का चार्ट दिखाया गया है।

इस चार्ट में जियोमैग्नेटिक सौर-तूफान की फ्रिक्वेंसी दिखाई गई है।

अंतरिक्ष और मौसम से जुड़ी घटनाएं घटेंगी

NOAA (National Oceanic and Atmospheric Administration) के अनुसार, इंसान सोलर साइकिल 25 के पीक के बेहद करीब हैं।

यह 11 साल में घटने वाले ऐसा समय है जब सूरज अपने उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों फ्लिप करता है। इस दौरान बहुत सी अंतरिक्ष और मौसम से जुड़ी घटनाएं घट सकती हैं। इस स्थिति को सोलर मैक्सिमम भी कहा जाता है।

NOAA (National Oceanic and Atmospheric Administration) भू-चुंबकीय तूफानों को G1 से G5 तक के स्केल पर रैंक करता है। इस रैंक के साथ कमजोर और सबसे छोटे तूफान से लेकर सबसे बड़े तूफान को दिखाया जाता है। जहां G1 को कमजोर और G5 को सबसे बड़ा तूफान माना जाता है।

इन तूफान का क्या पड़ता है असर

  • इन तूफान का सीधा असर कम्युनिकेशन सिस्टम, GPS और इलेक्ट्रिसिटी पर पड़ सकता है।
  • G5 तूफान की वजह से कई घंटों तक हाई फ्रीक्वेंसी रेडियो ब्लैकआउट की घटना घट सकती है।
  • इन तूफान का असर पावर सप्लाई में भी देखा जा सकता है।

क्या होता है चुंबकीय तूफान

दरअसल, सूरज की सतह पर कोरोनल मास इजेक्शन यानी विशाल विस्फोट होते हैं। इस विस्फोट के साथ ऊर्जावान कणों की धाराएं अंतरिक्ष में पहुंचती है।

यही कण जब पृथ्वी तक पहुंचते हैं तो चुंबकीय क्षेत्र में गड़बड़ी पैदा करते हैं। इस स्थिति को ही भू-चुंबकीय तूफान कहा जाता है।

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