मजबूत कॉरपोरेट आय और सरकारी समर्थन, भारत में यूएस टैरिफ के प्रभाव को कम करने में सहायक होंगे: रिपोर्ट


नई दिल्ली, 12 अगस्त (आईएएनएस)। मजबूत कॉरपोरेट बैलेंस शीट, अन्य देशों के साथ संभावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते और प्रभावित क्षेत्रों के लिए केंद्रीय सरकार से सहायता की संभावना, भारत पर बढ़े हुए अमेरिकी टैरिफ के कारण उत्पन्न होने वाले क्रेडिट प्रभाव को कुछ हद तक कम कर सकती है। यह जानकारी क्रिसिल की रिपोर्ट में मंगलवार को दी गई।

रिपोर्ट में कहा गया कि टैरिफ से प्रभावित सेक्टरों को भारत सरकार से समर्थन काफी अहम भूमिका निभा सकता है। टैरिफ ऐसे समय पर आए हैं जब कॉरपोरेट बैलेंस शीट मजबूत बनी हुई है। इससे क्रेडिट स्थिति पर असर कम होगा।

रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका द्वारा भारत पर लगाया गया 25 प्रतिशत टैरिफ डायमंड पॉलिश, झींगा, टेक्सटाइल और कालीन उद्योग को काफी प्रभावित कर सकता है।

इसके अतिरिक्त, रूस से कच्चे तेल के आयात पर पेनल्टी के रूप में 27 अगस्त से 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने के कदम से इन सेक्टर्स के साथ-साथ रेडीमेड गारमेंट्स (आरएमजी), केमिकल, एग्रोकेमिकल, कैपिटल गुड्स और सोलर पैनल मैन्युफैक्चरिंग सहित अन्य क्षेत्रों के लिए अमेरिका को भारतीय निर्यात अव्यवहारिक हो जाएगा, जिनकी देश से होने वाले अमेरिकी निर्यात में बड़ी हिस्सेदारी है।

क्रिसिल की रिपोर्ट में कहा गया कि टैरिफ का प्रभाव ग्राहकों पर बढ़ी हुई लागत डालने की क्षमता और प्रतिस्पर्धी देशों पर लगे टैरिफ के आधार पर अलग-अलग होगी। टैरिफ के एक संभावित दूसरे स्तर के प्रभाव पर भी कड़ी निगरानी की आवश्यकता है, जिसमें अमेरिकी मांग में मंदी और विभिन्न देशों के बीच असमान टैरिफ शामिल हैं, जो वैश्विक स्तर पर व्यापार की गतिशीलता को बदल सकते हैं। आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच किसी भी संभावित व्यापार समझौते पर नजर रखी जाएगी।

पिछले वित्त वर्ष में भारतीय व्यापारिक निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत थी, जो कि देश की कुल जीडीपी का 2 प्रतिशत है।

रिपोर्ट में कहा गया कि रेडी-मेड गारमेंट्स (आरएमजी), एग्रोकेमिकल, कैपिटल गुड्स और स्पेशियलिटी केमिकल पर 25 प्रतिशत का रेसिप्रोकल टैरिफ प्रबंधनीय है क्योंकि इन सेक्टर्स की आय में अमेरिका की हिस्सेदारी 5-20 प्रतिशत है। हालांकि, अतिरिक्त 25 प्रतिशत का सभी सेक्टर्स पर नकारात्मक असर होगा।

–आईएएनएस

एबीएस/


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