अस्पताल के पाइप में छिपे बैक्टीरिया को मारने के लिए कड़ी सफाई पर्याप्त नहीं : अध्ययन
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नई दिल्ली, 14 फरवरी (आईएएनएस)। अस्पतालों में अच्छी तरह सफाई के बावजूद, वहां के सिंक के पाइपों में खतरनाक बैक्टीरिया छिपे रहते हैं। एक शोध के अनुसार, यह समस्या “स्वास्थ्य सेवा से जुड़े संक्रमण” (एचएआई) बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभा रही है।
एचएआई उन मरीजों में ज्यादा फैलते हैं जिनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। इसके अलावा, कुछ अस्पतालों में सफाई के नियमों का सही से पालन न करने से भी यह समस्या और गंभीर हो जाती है। अध्ययन के अनुसार इस तरह के संक्रमण दुनियाभर में एक बड़ी परेशानी बन चुके हैं और अस्पतालों के कुल बजट का लगभग 6 प्रतिशत हिस्सा इसी पर खर्च हो जाता है।
एंटीबायोटिक दवाओं का अधिक इस्तेमाल भी इस समस्या को बढ़ाता है, क्योंकि इससे बैक्टीरिया की कुछ प्रजातियां दवाओं के प्रति रजिस्टेंट हो जाती हैं। जब ये प्रतिरोधक जीन एक बैक्टीरिया से दूसरे में स्थानांतरित हो जाते हैं, तो नए प्रकार के रोग पैदा होने की संभावना बढ़ जाती है।
स्पेन की बैलेरिक आइलैंड्स यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर मार्गरीटा गोमिला ने कहा कि अस्पतालों के सिंक के पाइपों में बैक्टीरिया की आबादी समय के साथ बदलती रहती है, चाहे सफाई के नियम कितने ही सख्त क्यों न हों। यह अध्ययन “फ्रंटियर्स इन माइक्रोबायोलॉजी” पत्रिका में प्रकाशित किया गया। इसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि पाइप में बैक्टीरिया के बढ़ने को नियंत्रित करना और ऐसे स्थानों पर नए बैक्टीरिया के आने से रोकना एक वैश्विक समस्या हो सकती है। ये स्थान ऐसे होते हैं जहां कीटाणुनाशक का प्रभाव कम होता है।”
शोध में पता चला कि सिंक और उनके पाइपों या नालियों को नियमित रूप से ब्लीच, केमिकल्स और भाप से साफ किया जाता है। कुछ दिनों के अंतराल पर लगातार यह सफाई अभियान जारी रहता है। इसके अलावा साल में एक बार पाइपों को कम तापमान पर हाइपरक्लोरीनीकृत किया जाता है। बावजूद इसके, वैज्ञानिकों को पाइपों में कुल 67 प्रकार के बैक्टीरिया मिले।
सबसे ज्यादा बैक्टीरिया सामान्य चिकित्सा (जनरल मेडिसिन) और आईसीयू में मिले, जबकि सबसे कम माइक्रोबायोलॉजी लैब में पाए गए। आईसीयू के नए खुले वार्ड में भी बैक्टीरिया की विविधता अधिक थी। इसमें मुख्य रूप से स्टेनोट्रोफोमोनास और स्यूडोमोनास एरुगिनोसा नामक बैक्टीरिया पाए गए, जो निमोनिया और सेप्सिस जैसी बीमारियां फैला सकते हैं।
इसके अलावा, शोधकर्ताओं को स्यूडोमोनास प्रजाति के 16 अन्य प्रकार के बैक्टीरिया भी मिले, जिन्हें विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इंसानों के लिए सबसे बड़े एंटीबायोटिक प्रतिरोधी खतरों में से एक माना है। ये बैक्टीरिया खासतौर पर अस्पताल के शॉर्ट-स्टे वार्ड में अधिक पाए गए।
अन्य खतरनाक बैक्टीरिया भी विभिन्न वार्डों में बार-बार मिले। शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी कि अस्पताल के सिंक के पाइप बैक्टीरिया के छिपने और बढ़ने के लिए आदर्श स्थान बन सकते हैं। इनमें कुछ ऐसे बैक्टीरिया भी शामिल हो सकते हैं जो एंटीबायोटिक से बचने की क्षमता रखते हैं और नए संक्रमण फैला सकते हैं। इसलिए, यह जानना जरूरी है कि ये बैक्टीरिया कहां से आते हैं और मरीजों तक कैसे पहुंचते हैं, ताकि इनके प्रसार को रोका जा सके।
–आईएएनएस
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