महाकुंभ में मची भगदड़ को श्री श्री रविशंकर ने बताया दुखद, श्रद्धालुओं से की खास अपील

महाकुंभ में मची भगदड़ को श्री श्री रविशंकर ने बताया दुखद, श्रद्धालुओं से की खास अपील

बेंगलुरु, 29 जनवरी (आईएएनएस)। यूपी के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में मची भगदड़ पर आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रवि शंकर ने बुधवार को आईएएनएस से बातचीत की। उन्होंने कहा कि यह घटना दुखद है और ऐसी घटना नहीं होनी चाहिए थी। इस घटना के लिए किसी को भी जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।

श्री श्री रविशंकर ने श्रद्धालुओं से अनुरोध करते हुए कहा कि मैं आप सभी से आग्रह करता हूं कि आप यह न सोचें कि आपको केवल उसी विशेष दिन और समय पर संगम में स्नान करना है। संगम एक पवित्र स्थान है और यहां किसी भी दिन स्नान कर आप उतना ही पुण्य अर्जित कर सकते हैं। महाकुंभ के दौरान, आप कभी भी स्नान करने जा सकते हैं। इसलिए, कोई भय और आशंका रखने की जरूरत नहीं है।

उन्होंने कहा कि जब दस करोड़ लोग एक स्थान पर एक साथ आते हैं, तो इस तरह की घटनाओं का होना स्वाभाविक है। हालांकि, सरकार ने इस आयोजन के लिए बेहतर व्यवस्था की थी, लेकिन श्रद्धा की अधिकता के कारण भगदड़ मच गई। उन्होंने बताया कि कुंभ मेला डेढ़ महीने तक चलेगा, श्रद्धालु इस दौरान किसी भी दिन स्नान कर सकते हैं। विशेष दिन के महत्व को लेकर श्रद्धालुओं में जो भ्रांतियां हैं, वह गलत हैं, हर दिन विशेष है। 45 दिन तक चलने वाले इस पर्व में किसी भी दिन आप स्नान करने जाएं, उतना ही पुण्य मिलेगा।

उन्होंने कहा कि मेला स्थल पर सारी व्यवस्थाएं काफी बेहतर ढंग से की गई हैं, जिसमें भोजन, सफाई, टॉयलेट्स और सड़कों की व्यवस्था शामिल है। भगदड़ के बाद व्यवस्था को लेकर उठ रहे सवाल पर उन्होंने कहा कि जब भी इस तरह की घटनाएं होती हैं, तो कुछ आलोचना होती ही है। लेकिन इस बार की व्यवस्था पहले से कहीं बेहतर है। ऐसा हम 25 साल पहले हरिद्वार में हुए भगदड़ के मुकाबले कह सकते हैं, जहां व्यवस्था की बहुत कमी थी।

उन्होंने आगे कहा कि श्रद्धालुओं को मेला स्थल पर सरकार द्वारा बनाई गई व्यवस्था का पालन करना चाहिए और संयम बनाए रखना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी से चूकता है, तो उसका असर दूसरों पर पड़ता है। इसलिए हर किसी को संयम और समझदारी के साथ स्नान करना चाहिए। यह सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है कि ऐसी घटनाएं भविष्य में न हों। श्रद्धालुओं को इस दौरान पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ स्नान करने के साथ-साथ कानून और व्यवस्था का पालन भी करना चाहिए।

–आईएएनएस

पीएसके/सीबीटी

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