गिलगित-बाल्टिस्तान में चीन-पाक व्यापारिक वर्चस्व के खिलाफ असंतोष, सीमा व्यापार ठप

नई दिल्ली, 17 अगस्त (आईएएनएस)। पाकिस्तान के गिलगित-बाल्टिस्तान (जीबी) क्षेत्र में स्थानीय लोगों और तेजी से बढ़ते चीन-पाक व्यापार तंत्र के बीच तनाव गहराता जा रहा है। हाल ही में सामने आए घटनाक्रमों ने इस असंतोष को और स्पष्ट कर दिया है।
सोशल मीडिया पर वायरल फुटेज में चीनी नागरिकों को एक प्रमुख सड़क पर विरोध करते हुए देखा गया। इसके कुछ ही घंटों बाद पाकिस्तानी व्यापारियों ने सोस्त कस्बे के इमिग्रेशन प्वाइंट पर धरना शुरू कर दिया, जिससे 31 जुलाई को सीमा पार आवाजाही ठप हो गई।
रिपोर्ट के अनुसार, यह घटनाएं अकेली नहीं हैं बल्कि गिलगित-बाल्टिस्तान में गहराते असंतोष को दर्शाती हैं। स्थानीय लोग मानते हैं कि चीन-पाक व्यापारिक व्यवस्था असमान है, जिसमें लाभ मुख्य रूप से चीनी पक्ष को मिलते हैं जबकि जीबी के व्यापारी कठिन परिस्थितियों से जूझ रहे हैं।
स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि चीन-पाक आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) ने क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को अपेक्षित लाभ नहीं पहुंचाया है। बल्कि यहां की जमीन विदेशी आर्थिक हितों के लिए इस्तेमाल हो रही है, जबकि स्थानीय कारोबारियों को कड़े नियमों और असमान प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है।
व्यापारियों का एक आरोप है कि पाकिस्तानी सामान और वाहनों की कड़ी जांच होती है, जबकि चीनी माल पर मुश्किल से ही निगरानी रखी जाती है। रोजगार के मामले में भी असंतोष है। सीपीईसी परियोजनाओं में काम करने के लिए स्थानीय लोगों को प्राथमिकता देने की बजाय चीनी मजदूरों को बाहर से लाया जा रहा है।
21 जुलाई से सोस्त ड्राई पोर्ट (हुंजा) पर पाक-चाइना ट्रेडर्स एक्शन कमेटी (पीसीटीएसी) ने विरोध तेज कर दिया है। व्यापारी, होटल व्यवसायी, ट्रांसपोर्टर और स्थानीय कारोबारियों की समिति ने हुंजा और नगर जिलों में कराकोरम हाईवे को अवरुद्ध कर दिया है।
तनाव तब और बढ़ गया जब 20-21 जुलाई की रात पीसीटीएसी नेताओं अब्बास मीर, अली नजर और फर्मान अली ताजिक को गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि, अगले दिन व्यापारियों के दबाव में उन्हें रिहा करना पड़ा।
यह विवाद मुख्य रूप से संघीय एजेंसियों फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू (एफबीआर) और पाकिस्तान कस्टम्स द्वारा खंजराब दर्रे से आने वाले चीनी माल पर आयकर और बिक्री कर लगाए जाने से उपजा है। पहले गिलगित-बाल्टिस्तान के व्यापारी छोटे पैमाने और स्थानीय बाजार की आपूर्ति के लिए इन करों से लगभग मुक्त रहते थे, लेकिन हाल के महीनों में कड़ी पाबंदियों ने नाराजगी बढ़ा दी है।
गिलगित-बाल्टिस्तान संवैधानिक रूप से अभी भी अधर में है और उसे पूर्ण प्रांतीय दर्जा नहीं मिला है। इस हाशिये पर धकेले गए दर्जे ने इस्लामाबाद को यहां बड़े प्रोजेक्ट्स लागू करने में आसानी दी है, लेकिन स्थानीय जनता की राय अक्सर नजरअंदाज कर दी जाती है।
इस बीच, क्षेत्र में चीन की मौजूदगी लगातार बढ़ती जा रही है। सड़कों और सुरंगों के निर्माण से लेकर कस्टम सुविधाओं के संचालन तक, चीनी कंपनियां और कर्मचारी सोस्त और हुंजा जैसे कस्बों में आम दृश्य बन गए हैं।
कुछ लोग बेहतर कनेक्टिविटी और ढांचे की सराहना करते हैं, लेकिन बड़ी संख्या में निवासी इसे “विदेशी आर्थिक कब्जा” मानकर विरोध कर रहे हैं।
–आईएएनएस
एससीएच/डीएससी