पीएम मोदी की अगुवाई में बढ़ा प्रवासी भारतीयों का सम्मान : गायिका मीता रवींद्र कुमार कराहे


ब्रासीलिया, 9 जुलाई (आईएएनएस)। ब्राजील में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत में गीत गाने वाली शास्त्रीय संगीत गायिका मीता रवींद्र कुमार कराहे ने बुधवार को कहा कि आज की तारीख में पूरी दुनिया में प्रवासी भारतीयों को सम्मान की नजरों से देखा जा रहा है। यह सबकुछ प्रधानमंत्री मोदी के करिशमाई नेतृत्व की वजह से ही मुमकिन हो पाया है। प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में पूरी दुनिया में भारत की साख बढ़ी है और इसी का नतीजा है कि हम भारतीयों को देखने का नजरिया भी बदला है।

उन्होंने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में कहा कि मैं ब्राजील में पिछले 53 सालों से रह रही हूं। मैं यहां पर 1973 में आई थी और मैंने यह महसूस किया है कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में दुनियाभर में रहने वाले भारतीयों को देखने का नजरिया बदला है। आज लोग हिंदुस्तानियों को सम्मान की नजरों से देख रहे हैं।

उन्होंने कहा कि मैं इतने सालों से ब्राजील में रह रही हूं। लेकिन, यकीन मानिए मुझे आज तक ऐसा नहीं लगा कि मैं हिंदुस्तान से दूर हूं। इसका मुख्य कारण यह है कि दोनों ही देशों की संस्कृति आपस में काफी मिलती जुलती है। दोनों में बहुत समानताएं हैं। इस देश में मुझे अपनापन लगता है। मुझे यहां के लोगों ने बहुत प्यार दिया है।

वह अपने शास्त्रीय संगीत के सफर के बारे में भी बताती हैं। उन्होंने कहा कि मैंने बचपन से ही शास्त्रीय संगीत की शिक्षा लेना शुरू कर दिया था। माणिक वर्मा, लक्ष्मी शंकर जी, पंडित प्रभाकर कारेकर जी मेरे गुरु रहे हैं, जिनसे मैंने शास्त्रीय संगीत सीखा है।

मीता रवींद्र कुमार कराहे प्रधानमंत्री मोदी से हुई अपनी मुलाकात के बारे में भी बताती हैं। मेरी प्रधानमंत्री से दूर से ही मुलाकात हुई। मैंने उन्हें हाथ हिलाकर अभिवादन किया और बताया कि कल मैं आपके स्वागत में गाने जा रही हूं, तो वह मुस्कुरा दिए।

साथ ही, मीता रवींद्र कराहे यह भी बताती हैं कि आखिर उन्हें कैसे प्रधानमंत्री मोदी के स्वागत के लिए गाने का मौका मिला। ब्राजील सरकार चाहती थी कि प्रधानमंत्री मोदी के स्वागत के लिए उनके ही देश का कोई नागरिक हो और संगीत ऐसा होना चाहिए, जो विशेषतौर पर प्रधानमंत्री मोदी को पसंद हो। इसके बाद ब्राजील सरकार ने मुझसे संपर्क किया और मुझे गाने के लिए कहा।

उन्होंने बताया कि ब्राजील में कई ऐसे लोग हैं, जो संस्कृत भाषा को सीखने के इच्छुक हैं। लेकिन, हमारी संस्कृत भाषा जटिल होने की वजह से यहां के लोगों को सीखने में समस्या होती है। लेकिन, मुझे यह जानकर शुरुआती दौर में काफी हैरानी हुई थी कि आखिर यहां इतनी बड़ी संख्या में लोग कैसे संस्कृत सीखने को लेकर इच्छुक हो सकते हैं। लिहाजा, मेरी कोशिश रहती है कि मैं आसान तरीके से लोगों को संस्कृत भाषा सिखाऊं। यही नहीं, यहां पर कई ऐसे लोग हैं, जो भारत में जाकर संस्कृत सीखना चाहते हैं। मेरी कोशिश रहती है कि पहले मैं यहां के लोगों को संस्कृत भाषा का बुनियादी ज्ञान दूं, ताकि जब वो भारत जाए, तो उन्हें किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं हो।

उन्होंने कहा कि जब मैं भजन गा रही थी, तो मंच पर दोनों देशों के राष्ट्रध्यक्ष मौजूद थे। उनकी इच्छा थी कि मैं राम भजन गाऊं, मैंने गाया। इसके बाद मुझे प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आप इतना अच्छा राम भजन गाती हैं, तो अयोध्या आइए। मैं आपको आमंत्रित करता हूं।

–आईएएनएस

एसएचके/एएस


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