'गगनयान' मिशन के लिहाज से शुभांशु शुक्ला की आईएसएस यात्रा महत्वपूर्ण


नई दिल्ली, 19 अप्रैल (आईएएनएस)। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अगले महीने एक निजी कंपनी के मिशन में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) की यात्रा करने वाले हैं। यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ के लिए रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है।

इसरो ‘गगनयान’ मिशन पर तेजी से काम कर रहा है। लेकिन, यह भी एक सच्चाई है कि इस मिशन के लिए चुने गए सभी अंतरिक्ष यात्रियों के लिए अंतरिक्ष में जाने का यह पहला अनुभव होगा। इसरो ने जिन अंतरिक्ष यात्रियों का चयन किया है, उनके प्रशिक्षण के तीन में से दो सत्र पूरे हो चुके हैं। साथ ही साथ, अंतरिक्षयान और विभिन्न मॉड्यूलों का परीक्षण भी प्रगति पर है।

वायुसेना के विशेषज्ञ टेस्ट पायलट ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला भी ‘गगनयान’ के लिए चुने गए संभावित अंतरिक्ष यात्रियों में शामिल हैं और अंतिम सूची में उनके स्थान पाने की प्रबल संभावना है।

इस बीच, इसरो ने एक निजी कंपनी एग्जिऑम स्पेस के एएक्स-4 मिशन के लिए शुभांशु शुक्ला को भेजने का फैसला किया है। तय कार्यक्रम के अनुसार, यह मिशन मई 2025 में आईएसएस के लिए रवाना होगा।

इसका रणनीतिक महत्व इसलिए है कि जब इसरो का मिशन गगनयान अंतरिक्ष की यात्रा पर रवाना होगा, उस समय टीम में कम से कम एक सदस्य ऐसा होगा, जिसे अंतरिक्ष यात्रा का और खासकर आईएसएस से धरती के वातावरण में आकर समुद्र में लैंडिंग का, पहले से अनुभव होगा।

वह इस मिशन में पायलट की भूमिका में होंगे। मिशन के 14 दिन तक आईएसएस के साथ जुड़े रहने का कार्यक्रम है।

इसरो ने एएक्स-4 मिशन में ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को शामिल करने के बदले निजी कंपनी के मिशन को आर्थिक मदद भी प्रदान की है। यह दिखाता है कि उनका अनुभव गगनयान मिशन के लिए कितना अहम है। वह अपने साथ स्पेसफ्लाइट ऑपरेशन, लॉन्च प्रोटोकॉल, बेहद कम या नगण्य गुरुत्वाकर्षण के साथ अनुकूलन और इमरजेंसी की तैयारी जैसे अनुभव लेकर लौटेंगे।

शुभांशु शुक्ला आईएसएस पर जाने वाले पहले और 1984 में राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय होंगे, जो तत्कालीन सोवियत संघ के सोयूज अंतरिक्ष यान में गए थे। हालांकि, इस बीच भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के लिए आईएसएस की यात्रा कर चुकी हैं।

इसरो ने बताया कि वह मई से जुलाई के दौरान टेस्ट व्हीकल-डी2 का परीक्षण करेगा। यह गगनयान क्रू के लिए इस्केप सिस्टम का परीक्षण है, जिसमें समुद्र से क्रू मॉड्यूल की रिकवरी भी शामिल है। यह किसी भी अंतरिक्ष मिशन का बेहद महत्वपूर्ण चरण है, जो अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करता है।

–आईएएनएस

एकेजे/एबीएम


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