श्रीमदभग्वत गीता भारतीय संस्कृति के सभी ग्रंथों का सार है – आरिफ मोहम्मद खान

श्रीमदभग्वत गीता भारतीय संस्कृति के सभी ग्रंथों का सार है – आरिफ मोहम्मद खान

24 दिसंबर।लखनऊ। गीता जयंती महोत्सव एवं गीता का अंतर्संगीत पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर केरल के राज्यपाल मा. आरिफ मोहम्मद खान ने संबोधित करते हुए कहा कि कर्मयोग का संदेश देने वाली गीता भारतीय संस्कृति के सभी ग्रंथों का सार है। कार्यक्रम कानपुर रोड स्थित सिटी मोंटेसरी स्कूल के प्रेक्षाग्रह में हुआ।
इस अवसर पर समारोह में विद्वान लेखक, विचारक, स्तंभकार एवं उत्तर प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष माननीय हृदय नारायण दीक्षित की पुस्तक ‘गीता का अंतर्संगीत” के द्वितीय संस्करण का विमोचन केरल के माननीय राज्यपाल द्वारा किया गया।
आरिफ मोहम्मद खान ने अपने उद्बोधन में गीता के विभिन्न श्लोकों का उद्धरण देते हुए कर्मयोग की विस्तृत व्याख्या की। उन्होंने कहा कि फल की इच्छा न रखते हुए पूरे मनोयोग से अपने कार्य में पूर्णता लाने का संदेश केवल गीता में ही दिया गया है। उन्होंने कहा कि श्री हृदय नारायण दीक्षित द्वारा लिखित पुस्तक गीता के संदेश के प्रचार प्रसार में काफी उपयोगी होगी।
हृदय नारायण दीक्षित ने अपने उद्बोधन मे कहा कि गीता में कर्म की उपयोगिता और जीवन चक्र तथा गीता में संस्कृति की निरंतरता और उसकी प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला गया है।इसके पूर्व विषय प्रवर्तन श्री शैलेंद्र दुबे द्वारा किया गया। उन्होनें जीवन में गीता के प्रबंधन पर विस्तार से बताया। भाजपा के महामंत्री संजय राय जी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। महोत्सव की अध्यक्षता राष्ट्र धर्म के संपादक प्रोफेसर ओमप्रकाश पांडे ने की। सिटी मॉन्टेसरी स्कूल के संस्थापक श्री जगदीश गांधी भी समारोह में उपस्थित थे।
कार्यक्रम का संचालन भारत समृद्धि की तरफ से शिक्षक व समाजसेवी रीना त्रिपाठी व नित्यानंद तिवारी पुस्तक के प्रकाशक व मीडिया सॉल्यूशन द्वारा किया गया।
भारत समृद्धि संस्था से धीरज उपाध्याय, त्रिवेणी मिश्रा, रेनू त्रिपाठी ,गीता वर्मा, हर्षिता ,रवि राठौर ,सौरव सिंह मोनू, रामकुमार , सूर्य प्रकाश उपाध्याय उपस्थित रहें तथा कार्यक्रम में सभी आमजन, बुद्धिजीवी, विद्यार्थी, कर्मचारी, शिक्षक, व्यापारी गणों ने गीता महोत्सव में हुए वक्तव्यों को ध्यानपूर्वक सुना तथा मुख्य अतिथि के द्वारा बताए गए विलक्षण और ज्ञानवर्धक बातों से अपना और अपने समाज का मार्ग प्रशस्त करने का वादा किया।

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