शेखर कपूर को है 'गंभीर डिस्लेक्सिया', बोले- यह मेरी कमजोरी नहीं, ताकत है


मुंबई, 11 अक्टूबर (आईएएनएस)। मशहूर फिल्ममेकर शेखर कपूर ने शनिवार को सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए खुलासा किया कि उन्हें डिस्लेक्सिया है। उन्होंने अपनी बेटी के साथ एक तस्वीर साझा करते हुए अपनी इस स्थिति के बारे में बताया।

‘मासूम,’ ‘मिस्टर इंडिया,’ और ‘बैंडिट क्वीन’ जैसी फिल्मों के लिए मशहूर शेखर ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट के जरिए बताया कि कैसे डिस्लेक्सिया ने उनकी जिंदगी को प्रभावित किया, लेकिन उन्होंने इसे अपनी कमजोरी नहीं, बल्कि ताकत बनाया।

शेखर ने अपनी पोस्ट में लिखा, “कुछ साल पहले मेरी बेटी ने बताया कि उसे डिस्लेक्सिया है। उसके टीचर ने इसे एक बहाना करार देते हुए बताया था कि अक्सर बच्चे परीक्षा में ज्यादा समय पाने के लिए इसे इस्तेमाल करते हैं। मेरी बेटी ने मुझसे जिद की और एक ऑनलाइन टेस्ट लिया, जिसमें पता चला कि उसे हल्का डिस्लेक्सिया है। लेकिन हैरानी तब हुई जब मुझे पता चला कि मुझे तो गंभीर डिस्लेक्सिया है।”

उन्होंने बताया कि उन्हें हमेशा फॉर्म भरने में डर लगता था। उन्होंने कहा, “मुझे हमेशा से फॉर्म भरने से डर लगता था, तो मैं सोचता था कि मैं आलसी या गैर-जिम्मेदार हूं। लेकिन डिस्लेक्सिया का पता चलने के बाद मुझे समझ आया कि मैं फॉर्म समझ ही नहीं पाता था।”

निर्देशक ने बताया कि इसके बावजूद, मैं एक सफल चार्टर्ड अकाउंटेंट बना और बाद में फिल्म मेकिंग में अपनी अलग पहचान बनाई।

उन्होंने कहा, “मेरे लाइन प्रोड्यूसर्स कहते थे कि मैं शेड्यूल नहीं पढ़ता, फिर भी काम समय पर पूरा कर लेता हूं। मैंने हमेशा अपने डिस्लेक्सिया के इर्द-गिर्द काम करने के तरीके ढूंढे।”

शेखर ने अपनी पोस्ट में यह भी कहा कि उनकी फिल्मों के कुछ सबसे रचनात्मक पल शायद डिस्लेक्सिया की वजह से ही आए। उन्होंने बताया, “मुझे अब लगता है कि कई शानदार रचनात्मक लोग डिस्लेक्सिया के साथ हैं। यह मेरी कमजोरी नहीं, बल्कि मेरी ताकत है।”

डिस्लेक्सिया एक न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर है जो पढ़ने, लिखने, शब्दों को बोलने और याद रखने में दिक्कत पैदा करता है। यह स्थिति ज्यादातर बच्चों में देखी जाती है, लेकिन किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। अमेरिकन नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार, डिस्लेक्सिया में शब्दों को जोर से पढ़ने और वर्तनी (स्पेलिंग) में मुश्किल होती है। इसे पहले एक खास तरह की सीखने की समस्या माना जाता था जो कम बुद्धि (लो आईक्यू) या देखने-सुनने की समस्याओं से जुड़ी नहीं थी।

हालांकि, हाल के शोधों ने डिस्लेक्सिया की परिभाषा को और व्यापक किया है। ‘रोज रिव्यू’ में कहा गया कि डिस्लेक्सिया किसी भी आईक्यू स्तर पर हो सकता है। इस बदलती परिभाषा ने डिस्लेक्सिया को समझने में कुछ भ्रम भी पैदा किया है। भविष्य में इस शब्द के इस्तेमाल को और स्पष्ट करने की जरूरत हो सकती है।

–आईएएनएस

एनएस/एएस


Show More
Back to top button