संविधान से 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों को नहीं हटने देंगे : शक्ति सिंह यादव

पटना, 27 जून (आईएएनएस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले के संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों की समीक्षा की मांग पर सियासत तेज हो गई है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने शुक्रवार को कहा कि जब तक समाजवादी विचारधारा के लोग हैं तब तक संविधान से ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को नहीं हटने देंगे।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गुरुवार को आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर आयोजित एक कार्यक्रम में दत्तात्रेय होसबोले ने इस बात पर जोर दिया कि संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों की समीक्षा की जाए। उनके इस बयान पर राजद के प्रवक्ता ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि यह कोई नई बात नहीं है, भाजपा तो संविधान बदलना ही चाहती है। लेकिन, जब तक समाजवादी विचारधारा के लोग जिंदा है तब तक उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो सकती। हम किसी भी कीमत पर संविधान से ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को नहीं हटने देंगे, आखिरी समय तक इसके लिए लड़ाई लड़ेंगे। भाजपा को यह नहीं भूलना चाहिए कि लालू प्रसाद यादव अभी भी राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
उत्तर प्रदेश के इटावा की घटना पर शक्ति सिंह यादव ने कहा कि यह घटना मुट्ठी भर लोगों के अहंकार का नतीजा है। इस देश के हर नागरिक को ज्ञान और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने का अधिकार है। कोई भी व्यक्ति ज्ञान लेकर उसे दूसरे लोगों में बांट सकता है और ऐसा करने से कोई धर्म उसे रोक नहीं सकता है। उन्होंने कथावाचकों के संदर्भ में कहा कि वे भूल जाएं कि कथा कहने का जन्मसिद्ध अधिकार उनके पास है। अब समय बदल चुका है। उन्होंने बिना नाम लिए एक समाज विशेष के बारे में कहा कि अगर बहुजन समाज के लोग उन्हें गलियों में घुसने नहीं देंगे तो उनकी “होटल में बर्तन धोने” की नौबत आ जाएगी।
यादव ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के उस बयान का भी समर्थन किया जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) समाज से इतना ही परहेज है तो घोषित कर दें कि परंपरागत रूप से कथा कहने वाले वर्चस्ववादी, पीडीए समाज द्वारा दिया गया चढ़ावा, चंदा, दान, दक्षिणा आदि कभी स्वीकार नहीं करेंगे।
–आईएएनएस
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