नई दिल्ली, 12 नवंबर (आईएएनएस)। बीएसई सेंसेक्स ने संवत 2080 की शुरुआत सकारात्मक रुख के साथ की, रविवार को मुहूर्त ट्रेडिंग सत्र में सूचकांक 354 अंक चढ़कर 65,000 अंक के पार पहुंच गया।
एक घंटे के विशेष सत्र का अंत सेंसेक्स 355 अंक बढ़कर 65,259 अंक पर हुआ।
सेंसेक्स में 1.4 फीसदी की बढ़त इंफोसिस में हुई, इसके बाद विप्रो, एशियन पेंट्स, टीसीएस और एनटीपीसी का स्थान रहा।
बीएसई स्मॉल कैप इंडेक्स में 1.14 फीसदी की तेजी आई जबकि बीएसई आईपीओ इंडेक्स में 2 फीसदी से ज्यादा की तेजी रही।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के ग्रुप एमडी और सीईओ मोतीलाल ओसवाल ने कहा कि मजबूत कमाई और स्वस्थ आर्थिक दृष्टिकोण के कारण हिंदू संवत 2080 की शुरुआत सकारात्मक रुख के साथ होने की संभावना है। आर्थिक प्रतिकूलताओं और वैश्विक भू-राजनीतिक चिंताओं के बावजूद, संवत 2079 निफ्टी में लगभग 10 प्रतिशत की बढ़त के साथ समाप्त हुआ।
उन्होंने कहा, “संवत 2080 में प्रवेश करते हुए हमारा मानना है कि भारत चमकता रहेगा और उम्मीद करता है कि बाजार अपना बेहतर प्रदर्शन बनाए रखेगा। हमारा मानना है कि अगले कुछ तिमाहियों में, समग्र बाजार में तेजी के साथ-साथ सेक्टर रोटेशन एक महत्वपूर्ण चालक होगा। हमें बीएफएसआई जैसे क्षेत्रों की उम्मीद है। विवेकाधीन उपभोग, निर्माण और रियल एस्टेट और उच्च विकास वाले आला क्षेत्र समग्र बाजार में तेजी लाएंगे।”
खंबाटा सिक्योरिटीज के निदेशक सुनील शाह ने कहा : “लगातार भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं और अपेक्षाकृत उच्च घरेलू आर्थिक विकास के कारण भारतीय इक्विटी अन्य वैश्विक बाजारों से बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद है। प्रमुख विषय घरेलू खपत और प्रीमियमीकरण होंगे, जिससे कंपनियां मजबूत आय दर्ज करने में सक्षम होंगी।”
उन्होंने कहा, “इंफ्रा और निर्माण कार्यों के अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद है, क्योंकि बुनियादी ढांचे के विकास पर सरकार का जोर जारी रहेगा, जबकि ग्रामीण-केंद्रित योजनाओं में उच्च बजटीय आवंटन ग्रामीण खपत में सुधार लाने में मदद कर सकता है, खासकर आगामी बजट के साथ।”
“स्मॉल और मिड-कैप सेगमेंट में समृद्ध वैल्यूएशन के बावजूद बुनियादी तौर पर मजबूत कारोबार और अच्छी आय वृद्धि वाली कंपनियां अपने वैल्यूएशन को सही ठहरा रही हैं। अगर चालू वित्तवर्ष 24 की दूसरी छमाही तक अमेरिकी बॉन्ड की पैदावार कम होने लगती है, तो एफपीआई वापस आ जाएंगे। आगामी आम चुनाव से बाजार की चाल बढ़ सकती है। मुद्रास्फीति, ब्याज दर प्रक्षेपवक्र और भू-राजनीतिक तनाव प्रमुख जोखिम बने रहेंगे।”
–आईएएनएस
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