मानसिक-आध्यात्मिक स्वास्थ्य को सशक्त बनाने पर ‘हीलिंग द हीलर्स’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन


मुंबई, 21 नवंबर (आईएएनएस)। बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर, मुंबई द्वारा डॉक्टरों के मानसिक-आध्यात्मिक स्वास्थ्य को सशक्त बनाने हेतु ‘हीलिंग द हीलर्स’ विषय पर एक मेडिको‑स्पिरिचुअल संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें मुंबई के प्रतिष्ठित सुपर‑स्पेशियलिटी अस्पतालों के वरिष्ठ चिकित्सकों ने सहभागिता की।

कार्यक्रम की शुरुआत दर्शन, अभिषेक, और वैदिक प्रार्थना से हुई, जिसके बाद गुरुहरि महंत स्वामी महाराज पर आधारित प्रेरणादायी परिचयात्मक फिल्म प्रस्तुत की गई।

आज भारत के स्वास्थ्य‑सेवा क्षेत्र में कार्यरत डॉक्टर अत्यधिक कार्य‑दबाव, भावनात्मक थकान, और उच्च‑स्तरीय निर्णयों के तनाव से गुजर रहे हैं। इन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, बीएपीएस ने यह संगोष्ठी आयोजित की, ताकि डॉक्टरों को आध्यात्मिक, मानसिक और व्यावहारिक दृष्टि से सशक्त बनाया जा सके।

इसमें विशेषज्ञ डॉक्टरों का प्रतिष्ठित पैनल भी शामिल हुआ। पद्म भूषण डॉ. अश्विन मेहता (प्रख्यात वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ) ने बताया कि डॉक्टरों में बढ़ता भावनात्मक बोझ अक्सर अनदेखा रह जाता है, और आंतरिक शांति व आध्यात्मिक स्थिरता उच्च‑दबाव वाले चिकित्सकीय निर्णयों में अत्यंत महत्वपूर्ण है।

डॉ. सुधांशु भट्टाचार्य (भारत के प्रतिष्ठित कार्डियक सर्जन) ने कहा कि जटिल सर्जरी और अनिश्चित स्थितियों के कारण सर्जनों पर मानसिक दबाव लगातार बढ़ रहा है। आध्यात्मिक अभ्यास तनाव घटाने, संतुलन बढ़ाने, और शांतिपूर्ण निर्णय क्षमता विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

डॉ. कांती पटेल (विख्यात ईएनटी सर्जन) ने बताया कि डॉक्टरों के लिए माइंडफुलनेस, करुणा, और स्व‑देखभाल जैसे गुण दीर्घकालीन सेवा में अत्यावश्यक हैं।

बीएपीएस के वरिष्ठ संत एवं वैश्विक प्रेरक वक्ता ज्ञानवर्त्सल स्वामी ने डॉक्टरों को मानसिक स्थिरता, भावनात्मक संतुलन, और आंतरिक शक्ति विकसित करने के व्यावहारिक उपाय बताए। उनका संदेश डॉक्टरों के लिए अत्यंत उपयोगी, सरल, और जीवन‑परिवर्तनकारी रहा।

मुख्य चिकित्सकीय प्रतिक्रियाएं-

यह संगोष्ठी वरिष्ठ डॉक्टरों के लिए व्यस्त जीवन में एक दुर्लभ “मानसिक विश्राम” का अवसर बनकर आई। डॉक्टरों ने अस्पतालों में स्ट्रेस‑सपोर्ट सिस्टम विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। विशेषज्ञों ने बताया कि आध्यात्मिक दृष्टिकोण गंभीर चिकित्सा स्थितियों में निर्णय क्षमता को अधिक शांत और स्पष्ट बनाता है।

उपस्थित चिकित्सकों ने बीएपीएस के इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम डॉक्टरों में करुणा, धैर्य, और सकारात्मकता बढ़ाते हैं। कई डॉक्टरों ने साझा किया कि कई बार आंतरिक संतुलन और आस्था गंभीर मरीजों को बचाने में निर्णायक सिद्ध होती है।

यह संगोष्ठी बीएपीएस की उस निरंतर पहल का हिस्सा है, जिसके माध्यम से स्वास्थ्य‑सेवा समुदाय को मानसिक ऊर्जा, आंतरिक शांति, और आध्यात्मिक मजबूती प्रदान करने के लिए प्रेरक वातावरण उपलब्ध कराया जाता है।

–आईएएनएस

एसके/एबीएम


Show More
Back to top button