'सेक्टर 36' – एक फिल्म जो वर्षों तक चर्चा में रहेगी!

'सेक्टर 36' – एक फिल्म जो वर्षों तक चर्चा में रहेगी!

नई दिल्ली, 13 सितंबर (आईएएनएस)। विक्रांत मैसी और दीपक डोबरियाल अभिनीत एक मनोरंजक, डार्क क्राइम थ्रिलर ‘सेक्टर 36’ आखिरकार नेटफ्लिक्स पर आ गई है। सच्ची घटनाओं पर आधारित इस फिल्म में उत्तर भारत की एक झुग्गी बस्ती से कई बच्चों के लापता होने के लिए जिम्मेदार एक सीरियल किलर की खोज की कहानी दिखाई गई है।

यह फिल्म मौजूदा समय के लिए एक महत्वपूर्ण फिल्म बनकर उभरी है। यह अपने विषय का स्पष्ट और बेबाक चित्रण पेश करती है जो अपनी प्रामाणिकता और भावनात्मकता के साथ दर्शकों को बांधे रखने में कामयाब होती है।

फिल्म की कहानी 2006 के नोएडा सीरियल मर्डर पर आधारित है, जिसे निठारी हत्याकांड के नाम से भी जाना जाता है। ‘सेक्टर 36’ में विक्रांत मैसी ने एक समृद्ध परिवार के नौकर के रूप में सिहरन पैदा करने वाला परफॉर्मेंस दिया है। यह परिवार एक काले और भयावह रहस्य को छुपाए हुए है। उनका किरदार एक निर्दयी और भावशून्य स्वभाव का है। वह एक सीरियल किलर है जो बच्चों का अपहरण करता है और उनकी हत्या करता है। उसे इसका कोई पश्चाताप भी नहीं है। उसकी पिछली जिंदगी कठिनाइयों से भरी थी और ट्रामा में गजरी थी। इसी कारण वह एक निर्दयी हत्यारा बन गया। उसकी वर्तमान हरकतें उसके अंदर छिपे राक्षस को दिखाती हैं।

फिल्म की कहानी में दो-दो काली दुनिया को दिखाया गया है। आकाश खुराना द्वारा अभिनीत उसके मालिक का अतीत भी ऐसा ही घिनौना है। खुराना एक संपन्न और शक्तिशाली व्यक्ति है, लेकिन बच्चों के साथ दुर्व्यवहार करने का उसका इतिहास रहा है। वह अपने घर के भीतर किए गए जघन्य अपराधों में भागीदार बन जाता है। दोनों ही किरदार एक विचित्र बंधन में एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, उनकी मिलकर की गई काली करतूतें कहानी में सामने आने वाली भयावह घटनाओं को जन्म देती हैं।

दीपक डोबरियाल इंस्पेक्टर राम चरण पांडे की भूमिका में हैं, जो अपनी ड्यूटी के प्रति एक समर्पित अधिकारी है। वह शुरू में लापता बच्चों के मामलों के प्रति उदासीन था, उन्हें केवल आंकड़ों के रूप में देखता था। हालांकि, जब उसकी अपनी बेटी बाल-बाल बच जाती है, तो उसकी आत्मसंतुष्टि बिखर जाती है। यह व्यक्तिगत कारण उसे जांच के केंद्र में ले जाता है, जिससे उसका दृष्टिकोण एक उदासीन पर्यवेक्षक से एक हताश बदला लेने वाले में बदल जाता है।

जैसे-जैसे इंस्पेक्टर पांडे मामले की तह में पहुंचते हैं, उन्हें बच्चों के गायब होने के पीछे की भयावह सच्चाई का पता चलता है। फिल्म का सार इस काली साजिश को उजागर करने के इर्द-गिर्द घूमता है।

विक्रांत मैसी ने फिल्म में प्रेम सिंह के जटिल किरदार को उल्लेखनीय प्रामाणिकता और गहराई के साथ निभाया है। उनके अभिनय के कारण फिल्म जीवंत हो गई है। दीपक डोबरियाल भी उतने ही प्रभावशाली हैं। दृढ़ निश्चयी पुलिस अधिकारी राम चरण पांडे की भूमिका में उन्होंने फिल्म में तनाव और भावनात्मक प्रभाव बढ़ाया है। मैसी और डोबरियाल ने मिलकर फिल्म को विश्वसनीयता दी है जो क्राइम थ्रिलर को और भी बेहतर बनाता है, जिससे यह एक बेहतरीन अनुभव बन जाता है।

फिल्म के बोल्ड अप्रोच और अभिनेताओं के कथानक को आगे बढ़ाने वाले प्रभावशाली अभिनय को देखते हुए, यह एक ऐसी फिल्म है जिसके बारे में आने वाले वर्षों में चर्चा की जाएगी। इस तरह की फिल्म से अपने निर्देशन की शुरुआत करने के लिए आदित्य निंबालकर को बधाई। इस फिल्म को मनोरंजक बनाए रखते हुए उसकी डार्क थीम को प्रकाश में लाने की क्षमता उनके निर्देशन कौशल का प्रमाण है।

मैडॉक फिल्म्स, जो अपनी समझदारी से कंटेंट चुनने के लिए जानी जाती है, ‘सेक्टर 36’ के साथ फिर एक बार अपनी चमक दिखाती है। विचारोत्तेजक और उच्च गुणवत्ता वाले कंटेंट का चयन करने की उनकी प्रतिबद्धता इस फिल्म में स्पष्ट है, जो न केवल कहानी कहने के प्रति उनके समर्पण को दर्शाती है, बल्कि चुनौतीपूर्ण कंटेंट को अनुग्रह और सटीकता के साथ संभालने की उनकी क्षमता को भी रेखांकित करती है।

मैडॉक फिल्म्स और जियो स्टूडियोज के बैनर तले दिनेश विजन और ज्योति देशपांडे द्वारा निर्मित ‘सेक्टर 36’ एक उल्लेखनीय फिल्म है जो अपने गहन चित्रण, शानदार अभिनय और बेहतरीन निर्माण के कारण स्थायी छाप छोड़ने का वादा करती है।

फिल्म: सेक्टर 36

निर्देशक: आदित्य निंबालकर

लेखक: बोधयन रॉयचौधरी

कलाकार: विक्रांत मैसी, दीपक डोबरियाल, आकाश खुराना, दर्शन जरीवाला, बहारुल इस्लाम

अवधि: 2 घंटे 4 मिनट

रेटिंग: 4 स्टार

–आईएएनएस

एकेजे/

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