सेबी ने सेटलमेंट एप्लीकेशन में दर्ज की वृद्धि, वित्त वर्ष 25 में 860 करोड़ रुपए से अधिक किए एकत्र


मुंबई, 17 अगस्त (आईएएनएस)। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को 2024-25 में रिकॉर्ड संख्या में सेटलमेंट एप्लीकेशन प्राप्त हुए, जिससे यह स्पष्ट होता है कि संस्थाएं बिना लंबी मुकदमेबाजी के विवादों को सुलझाना पसंद कर रही हैं।

सेबी की लेटेस्ट वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, नियामक को 703 सेटलमेंट याचिकाएं प्राप्त हुईं, जो पिछले वित्त वर्ष में प्राप्त 434 याचिकाओं से काफी अधिक है।

इन आवेदनों में से 284 का निपटान आदेशों के माध्यम से निपटारा किया गया, जबकि अन्य 272 रिजेक्ट, विड्रॉ या रिटर्न कर दिए गए।

निपटान किए गए मामलों के माध्यम से, सेबी ने निपटान शुल्क के रूप में 798.87 करोड़ रुपए और वापसी शुल्क के रूप में 64.84 करोड़ रुपए एकत्र किए।

निपटान तंत्र, प्रतिभूति कानूनों का उल्लंघन करने के आरोपी कंपनियों और व्यक्तियों को अदालत में मुकदमा लड़ने के बजाय, शुल्क का भुगतान कर और कुछ शर्तों को पूरा कर मामलों को बंद करने की अनुमति देता है।

इन मामलों में उल्लंघनों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल थी, जिसमें इनसाइडर ट्रेडिंग, धोखाधड़ीपूर्ण ट्रेडिंग, वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ), म्यूचुअल फंड और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) शामिल थे।

निपटान मामलों के साथ-साथ, सेबी ने वर्ष के दौरान बड़ी संख्या में अपीलों का भी निपटारा किया।

2024-25 में प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (एसएटी) के समक्ष कुल 533 नई अपीलें दायर की गईं, जबकि पिछले वर्ष यह संख्या 821 थी।

इनमें से 422 अपीलों का निपटारा कर दिया गया, जिनमें से अधिकांश खारिज कर दी गईं।

लगभग 73 प्रतिशत अपीलें रिजेक्ट कर दी गईं, 5 प्रतिशत को अनुमति दी गई, 10 प्रतिशत को संशोधनों के साथ बरकरार रखा गया, 5 प्रतिशत को वापस भेज दिया गया और 7 प्रतिशत विड्रॉ की गई।

इनमें से अधिकांश अपीलें लगभग 62 प्रतिशत धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार व्यवहार निषेध विनियम, 2003 के उल्लंघन से जुड़ी थीं।

इसी समय, सेबी का डिफिकल्ट-टू-रिकवर (डीटीआर) बकाया 2024-25 में बढ़कर 77,800 करोड़ रुपए हो गया, जबकि मार्च 2024 के अंत में यह 76,293 करोड़ रुपए था।

व्यापक वसूली प्रयासों के बावजूद ये बकाया पेंडिंग हैं। सेबी ने स्पष्ट किया कि इन्हें डीटीआर के रूप में वर्गीकृत करना एक प्रशासनिक उपाय है और परिस्थितियों में बदलाव होने पर वसूली अधिकारियों को इन पर कार्रवाई करने से नहीं रोकता है।

–आईएएनएस

एसकेटी/


Show More
Back to top button