वैज्ञानिकों ने उम्र बढ़ने के रहस्यों से उठाया पर्दा

वैज्ञानिकों ने उम्र बढ़ने के रहस्यों से उठाया पर्दा

नई दिल्ली, 10 नवंबर (आईएएनएस)। इंसान की उम्र कैसे बढ़ती है, इस प्रक्रिया का पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों की एक टीम ने यह पता लगाया है कि इम्युनोग्लोबुलिंस कैसे उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं।

चीनी विज्ञान अकादमी (सीएएस) और बीजीआई रिसर्च की टीम ने नर चूहों के नौ अंगों में लाखों स्थानिक धब्बों का विश्लेषण करके उच्च परिशुद्धता वाले स्थानिक ट्रांसक्रिप्टोमिक मैप बनाए।

इन मैप ने 70 से ज्यादा प्रकार की कोशिकाओं को दिखाया। इससे वैज्ञानिकों को उम्र बढ़ने के पैटर्न को समझने में मदद मिली।

जेरोंटोलॉज‍िकल ज्योग्राफी (जीजी) नामक शोध उम्र बढ़ने की प्रक्रिया में टिश्यू की संरचनात्मक गड़बड़ी और कोशिकीय पहचान की हानि के सामान्य पहलुओं को उजागर करता है।

जर्नल सेल में प्रकाशित अध्ययन के लेखकों में से एक प्रोफेसर लियू गुआंगहुई ने कहा, ”यह परिदृश्य कई अंगों में उम्र बढ़ने के केंद्रों को चिन्हित करने और उम्र बढ़ने के प्रमुख लक्षण और चालक के रूप में इम्युनोग्लोबुलिन के संचय को उजागर करने में एक महत्वपूर्ण कदम है।”

प्रणालीगत बायोमार्कर और उम्र बढ़ने के प्रमुख कारणों की खोज जेरोंटोलॉजी के क्षेत्र में लंबे समय से एक पहेली रही है।

शोधकर्ताओं ने पाया कि उम्र बढ़ने के दौरान शरीर के टिश्यू और कोशिकाओं में संरचनात्मक गड़बड़ी होती है। इसके साथ ही कोशिकाओं की पहचान खोने से अंगों की कार्यात्मक क्षमता कम होती है और स्थानिक संरचनात्मक नुकसान उम्र बढ़ने की मुख्य वजह हो सकती है।

टीम ने सेनेसेंस-सेंसिटिव स्पॉट (SSS) की भी पहचान की, जो विभिन्न ऊतकों में संरचनात्मक क्षेत्र हैं जो उम्र बढ़ने के प्रभावों के प्रति अधिक संवेदनशील हैं।

उन्होंने पाया कि एसएसएस के निकट वाले क्षेत्रों में उच्च ऊतक संरचनात्मक एन्ट्रॉपी और कोशिकीय पहचान की अधिक हानि होती है, जो यह दर्शाता है कि एसएसएस अंगों की उम्र बढ़ने का केंद्र हो सकता है।

यह अध्ययन स्तनधारियों में पैन-ऑर्गन एजिंग के स्थानिक ट्रांसक्रिप्टोम को मैप करने वाला पहला अध्ययन है, जो ऊतक संरचनात्मक विकार और कोशिकीय पहचान के नुकसान को उम्र बढ़ने के प्रमुख लक्षणों के रूप में प्रकट करता है और उम्र बढ़ने की संवेदनशीलता के मुख्य क्षेत्रों और सूक्ष्म पर्यावरणीय विशेषताओं का सटीक रूप से पता लगाता है।

यह अध्ययन उम्र बढ़ने के विज्ञान की सीमाओं का विस्तार करता है और उम्र बढ़ने में देरी और संबंधित बीमारियों को रोकने के लिए नए रास्ते खोलता है।

–आईएएनएस

एमकेएस/सीबीटी

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