2जी स्पेक्ट्रम से जुड़े फैसले में संशोधन के लिए SC पहुंचा केंद्र

2जी स्पेक्ट्रम से जुड़े फैसले में संशोधन के लिए SC पहुंचा केंद्र

करीब 12 साल से अधिक समय के बाद 2जी स्पेक्ट्रम मामले से जुड़े फैसले में संशोधन का अनुरोध करते हुए केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की शरण ली।

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि देश के प्राकृतिक संसाधनों को स्थानांतरित करते समय सरकार नीलामी का मार्ग अपनाने के लिए बाध्य है। इसने दो फरवरी 2012 के अपने फैसले में जनवरी 2008 में दूरसंचार मंत्री के रूप में ए राजा के कार्यकाल के दौरान विभिन्न कंपनियों को दिए गए 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस रद कर दिए थे।

केंद्र ने SC से क्या कहा?

केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल (एजी) आर. वेंकटरमणी ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पार्डीवाला की पीठ के समक्ष एक अंतरिम आवेदन का उल्लेख किया। आवेदन को तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध करते हुए एजी ने पीठ से कहा कि याचिका 2012 के फैसले में संशोधन का अनुरोध करती है क्योंकि केंद्र कुछ मामलों में 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस देना चाहता है।

वकील प्रशांत भूषण ने आवेदन का किया विरोध  

चीफ जस्टिस ने इस पर कहा- ‘हम इसे देखेंगे, आप इस संबंध में कृपया एक ई-मेल भेजें। एनजीओ सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने आवेदन का विरोध किया और कहा कि शीर्ष अदालत ने नीलामी संबंधी अपने फैसले में इस मुद्दे को अच्छी तरह से सुलझा लिया था। यह एनजीओ उन याचिकाकर्ताओं में शामिल था , जिनकी याचिकाओं पर शीर्ष कोर्ट ने फरवरी 2012 में अपना फैसला सुनाया था।

सीबीआई ने किया है कोर्ट का रुख

इस साल 22 मार्च को दिल्ली हाई कोर्ट ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में राजा और 16 अन्य को बरी करने के खिलाफ सीबीआई की अपील को स्वीकार कर लिया था। इससे एजेंसी की ओर से याचिका दायर करने के छह साल बाद मामले की सुनवाई का मार्ग प्रशस्त हो गया। सीबीआई की अपील को स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट ने कहा था कि निचली अदालत के फैसले में कुछ विरोधाभास थे, जिनकी गहन पड़ताल की आवश्यकता है।

सरकारी खजाने को हुआ था इतने करोड़ का नुकसान

मालूम हो कि एक विशेष अदालत ने 21 दिसंबर, 2017 को 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन से संबंधित सीबीआई और ईडी के मामलों में राजा, द्रमुक सांसद कनिमोरी और अन्य को बरी कर दिया था। 20 मार्च, 2018 को विशेष अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए सीबीआई ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सीबीआई ने आरोप लगाया था कि 2जी स्पेक्ट्रम के लिए लाइसेंस आवंटन में सरकारी खजाने को 30,984 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।

E-Magazine