सावन विशेष : 400 वर्ष प्राचीन शिवालय में महादेव की सेवा में रत रहते हैं दर्जनों नाग, पंचमुखी शिवलिंग के स्पर्श से दूर होते हैं कई रोग


उन्नाव, 7 अगस्त (आईएएनएस)। भोलेनाथ को प्रिय सावन माह समाप्त होने जा रहा है। इस माह में महादेव का दर्शन-पूजन विशेष फलदायी माना जाता है। देश भर में ऐसे कई प्राचीन मंदिर हैं, जिनकी कथा सुनकर देवाधिदेव पर भक्तों की श्रद्धा और भी बढ़ जाती है। ऐसा ही एक बोधेश्वर महादेव का मंदिर है, जो उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में स्थित है।

बांगरमऊ क्षेत्र में कल्याणी नदी के तट पर स्थित बोधेश्वर महादेव मंदिर आस्था और चमत्कार का संगम है। करीब 400 साल पुराना यह मंदिर न केवल प्राचीन स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि पंचमुखी शिवलिंग और इसके चारों ओर विचरण करने वाले दर्जनों सांपों के लिए भी जाना जाता है।

मान्यता है कि इस शिवलिंग के स्पर्श मात्र से गंभीर रोगों से मुक्ति मिलती है, जिसके चलते सावन के महीने में यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है।

मंदिर के गर्भगृह में स्थापित पंचमुखी शिवलिंग अपने आप में एक रहस्य है। पुरातत्व विशेषज्ञों के अनुसार, यह शिवलिंग उस दुर्लभ पत्थर से बना है, जो 400 साल पहले विलुप्त हो चुका था। इस पत्थर की खासियत और महादेव के पांच मुखों की अनूठी संरचना इसे विशेष बनाती है। मंदिर में नंदी और नौ ग्रहों की मूर्तियां भी स्थापित हैं, जिन पर 15वीं शताब्दी की उत्कृष्ट पाषाण कला का नमूना देखने को मिलता है।

स्थानीय लोगों का मानना है कि इस शिवलिंग के दर्शन और स्पर्श से न केवल शारीरिक रोग, बल्कि मानसिक समस्याएं भी दूर हो जाती हैं।

बोधेश्वर महादेव मंदिर की एक और विशेषता है, यहां रात में आने वाले काले सांप। स्थानीय लोगों का मानना है कि शिवालय में अर्धरात्रि में दर्जनों सांप मंदिर में प्रवेश करते हैं और पंचमुखी शिवलिंग को स्पर्श कर जंगल में लौट जाते हैं।

कई भक्तों ने दावा किया है कि उन्होंने शिवलिंग पर सांपों के जोड़े को लिपटे देखा है। यह दृश्य न केवल रहस्यमयी है, बल्कि भक्तों की आस्था को गहरा करता है। मान्यता है कि सांप भगवान शिव के गण हैं, जो उनकी सेवा में रत रहते हैं।

मंदिर से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार, राज नेवल के राजा को भगवान शिव ने स्वप्न में पंचमुखी शिवलिंग, नंदी और नौ ग्रहों की स्थापना का आदेश दिया था। जब प्रतिमाएं रथ पर लाई जा रही थीं, तब राजधानी के प्रवेश द्वार पर रथ जमीन में धंस गया। लाख कोशिशों के बावजूद रथ नहीं निकला, जिसके बाद राजा ने उसी स्थान पर मंदिर बनवाकर प्रतिमाओं को स्थापित करवाया।

पुरातत्वविदों का मानना है कि मंदिर के आसपास का 3 एकड़ का टीला किसी प्राचीन बस्ती का अवशेष है, जो पांच सदी पहले किसी आपदा में नष्ट हो गई थी।

बोधेश्वर महादेव मंदिर का न केवल धार्मिक, बल्कि ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व भी है। सावन, महाशिवरात्रि, शिवरात्रि के अलावा अन्य दिनों में भी बोधेश्वर महादेव के दर्शन को भक्तों का तांता लगता है।

–आईएएनएस

एमटी/एबीएम


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