पाकिस्तानी शख्स से निकाह करने वाली सरबजीत को लाहौर पुलिस कर रही परेशान, संबंध तोड़ने का बना रही दबाव


लाहौर/नई दिल्ली, 18 नवंबर (आईएएनएस)। पाकिस्तानी शख्स से निकाह करने वाली सरबजीत उर्फ नूर हुसैन को लाहौर पुलिस तंग कर रही है। परेशान इतना किया है कि अब उसे लाहौर उच्च न्यायालय (एलएचसी) की शरण लेनी पड़ी है। पति-पत्नी ने अपनी याचिका में दावा किया है कि पुलिस उन पर शादी तोड़ने का दबाव बना रही है।

सरबजीत पहले सिख थी और 4 नवंबर को 1,922 तीर्थयात्रियों संग वाया अटारी बॉर्डर पाकिस्तान पहुंची थी। पाकिस्तान के अलग-अलग गुरुद्वारों में 10 दिन बिताने के बाद 1,922 तीर्थयात्रियों का यह समूह 13 नवंबर की शाम भारत लौट आया था, लेकिन वह लापता थी। बाद में उसके निकाहनामे और पासपोर्ट की प्रति सामने आई। इससे पता चला कि उसने इस्लाम कबूल कर नई आबादी शेखूपुरा निवासी नासिर हुसैन से निकाह कर लिया है।

अब पति नासिर का आरोप है कि लाहौर पुलिस उस पर शादी तोड़ने का दबाव डाल रही है। दोनों ने इसे लेकर एक याचिका दायर की, जिसमें शिकायत की गई कि पुलिस ने “शेखपुरा जिले के फारूकाबाद स्थित उनके घर पर अवैध रूप से छापा मारा और शादी तोड़ने का दबाव डाला।”

स्थानीय मीडिया आउटलेट ‘डॉन’, ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ और ‘समा टीवी’ के अनुसार, न्यायमूर्ति फारूक हैदर ने याचिका पर सुनवाई की और पुलिस को याचिकाकर्ताओं को परेशान करना बंद करने का आदेश दिया।

उपलब्ध जानकारी के मुताबिक 12 नवंबर को संविधान के अनुच्छेद 199 (उच्च न्यायालय का अधिकार क्षेत्र) के तहत दायर की गई थी। इसमें महिला और उसके पति को याचिकाकर्ता बनाया गया और पंजाब के पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी), शेखपुरा के क्षेत्रीय पुलिस अधिकारी, शेखपुरा और ननकाना साहिब के जिला पुलिस अधिकारी (डीपीओ), वहां के स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ), और फारूकाबाद के एक अन्य निवासी को प्रतिवादी बनाया गया।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि महिला के पूर्व धर्म के आधार पर किसी ने एसएचओ से याचिकाकर्ताओं के घर पर 8 और 11 नवंबर को दो बार अवैध छापेमारी करने का अनुरोध किया था। इसमें कहा गया है कि एसएचओ का बर्ताव बहुत अनुचित था और उसने शादी तोड़ने का दबाव बनाया।

इसमें यह भी कहा गया कि पति पाकिस्तान का नागरिक है, जबकि उसकी पत्नी ने भी अपने वीजा की अवधि बढ़ाने और पाकिस्तानी नागरिकता प्राप्त करने के लिए दूतावास से संपर्क किया था।

याचिका में कहा गया है कि प्रतिवादियों की कार्रवाई “कानून और मौलिक अधिकारों के विरुद्ध” है और याचिकाकर्ताओं के अधिकारों का गंभीर उल्लंघन करती है। यदि अदालत प्रतिवादियों को अनुचित उत्पीड़न करने से रोकने के लिए उचित निर्देश जारी नहीं करती है, तो याचिकाकर्ताओं को “अपूरणीय क्षति” पहुंचेगी।

लाहौर हाईकोर्ट ने इस याचिका का संज्ञान लेते हुए पुलिस को हुसैन दंपति को परेशान न करने की ताकीद की है।

–आईएएनएस

केआर/


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