निवेश का नया केंद्र आरआरटीएस कॉरिडोर, 66 प्रतिशत लोग प्रॉपर्टी खरीदने के इच्छुक : रिपोर्ट


नई दिल्ली, 26 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत में रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) तेजी से निवेश को बढ़ावा देने वाला एक बड़ा माध्यम बनकर उभर रहा है। शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, सर्वे में शामिल करीब 80 प्रतिशत मौजूदा आरआरटीएस यूजर्स का मानना है कि बेहतर कनेक्टिविटी से उनके इलाके में आर्थिक अवसर बढ़े हैं।

नाइट फ्रैंक इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, जहां पर नई और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर सुविधाएं साफ नजर आती हैं, वहां लोगों का भरोसा काफी बढ़ जाता है। ऐसे इलाकों में आर्थिक विकास को लेकर लोगों का विश्वास 2.25 गुना से ज्यादा बढ़ा है। इसका सीधा असर रियल एस्टेट पर भी पड़ा है, क्योंकि 66 प्रतिशत मौजूदा यूजर्स ने आरआरटीएस कॉरिडोर के आसपास प्रॉपर्टी में निवेश की इच्छा जताई है।

रिपोर्ट में बताया गया कि जिन जगहों पर व्यावसायिक गतिविधियां (दुकानें, ऑफिस, मॉल) और रियल एस्टेट विकास तेजी से हो रहे हैं, वहां निवेश करने की इच्छा कई गुना बढ़ जाती है। इससे निवेशकों का भरोसा मजबूत होता है।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 38 प्रतिशत लोग बड़े शहरों के मुख्य इलाकों से बाहर रहने के लिए तैयार हैं, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि वहां स्कूल, अस्पताल, बाजार और दूसरी सामाजिक सुविधाएं मौजूद हों। इससे यह साफ होता है कि आरआरटीएस कॉरिडोर के आसपास समग्र विकास बहुत जरूरी है।

नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर शिशिर बैजल ने कहा कि आरआरटीएस भारत के शहरी और क्षेत्रीय परिवहन के लिए एक बहुत अहम परियोजना है। लोग ऐसे आधुनिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम अपनाने को तैयार हैं, जो तेज, सुरक्षित और भरोसेमंद हों।

उन्होंने कहा कि सरकार और शहरों की योजना बनाने वालों के लिए जरूरी है कि ट्रांसपोर्ट और शहरी विकास को साथ-साथ जोड़ा जाए। वहीं निवेशकों और बिल्डर्स के लिए आरआरटीएस कॉरिडोर विकास और मुनाफे के अच्छे अवसर लेकर आ रहे हैं।

आरआरटीएस की एक प्रमुख परियोजना दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर है, जिसे एनसीआर ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (एनसीआरटीसी) बना रही है। इसकी लागत 30,000 करोड़ रुपए से ज्यादा है।

यह कॉरिडोर कुल 82 किलोमीटर लंबा होगा और इसके पूरा होने के बाद दिल्ली से मेरठ का सफर एक घंटे से भी कम समय में तय हो सकेगा। इसका एक हिस्सा शुरू हो चुका है और सरकार लगातार इस प्रोजेक्ट के लिए फंड दे रही है।

–आईएएनएस

डीबीपी/एबीएम


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