ऋषि सुनक को प्रीमियरशिप खोने का खतरा

ऋषि सुनक को प्रीमियरशिप खोने का खतरा

लंदन, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय मूल के ब्रिटिश प्रधानमंत्री, 42 वर्षीय ऋषि सुनक अपने प्रधानमंत्री पद के साथ-साथ अपने राजनीतिक करियर को बचाने के लिए पूरी ताकत से लड़ रहे हैं।

सुनक, जिन्होंने ब्रिटिश संसद में आव्रजन विधेयक पारित कराने के लिए अपना भविष्य दांव पर लगा दिया है। उनका मानना है कि यह विधेयक कानून बनकर सुनिश्चित करेगा कि यूनाइटेड किंगडम में शरण चाहने वालों को रवांडा भेजा जाए और परिणामस्वरूप ऐसे लोगों को अवैध रूप से ब्रिटेन आने से रोका जाएगा। यूनाइटेड किंगडम ने अवैध अप्रवासियों को पूर्वी अफ्रीकी देश में भेजने के लिए रवांडा के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

गुरुवार को एक मीडिया सम्मेलन बुलाते हुए उन्होंने पत्रकारों से कहा कि यह विधेयक अदालतों द्वारा किसी भी निर्वासन निर्णय को रोकने की संभावना को “लुप्तप्राय” बना देगा। उन्होंने कहा : “इसका मतलब है कि यह बिल हर उस कारण को रोकता है, जिसका इस्तेमाल रवांडा के लिए उड़ानों को रोकने के लिए किया गया है।”

तीन सप्ताह पहले, यूके के सुप्रीम कोर्ट ने इस कदम को रद्द कर दिया, क्योंकि उसके विचार में यह नीति गैरकानूनी थी और अन्य उल्लंघनों के साथ-साथ मानवाधिकारों का हनन था। यह भी कहा गया कि रवांडा सुरक्षित जगह नहीं है। इस पर टिप्पणी करते हुए सुनक ने कहा कि ब्रिटेन यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय के निषेधाज्ञा की अनदेखी करने को भी तैयार है।

हालाँकि, अगले सप्ताह हाउस ऑफ कॉमन्स में विधेयक पारित होने से सनक पर विश्वास मत प्राप्त हो गया है। मुख्य विपक्षी लेबर पार्टी, स्कॉटिश राष्ट्रवादी और लिबरल डेमोक्रेट इसका विरोध करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यदि सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी के लगभग 28 सांसद उनके साथ शामिल हो जाते हैं, तो कानून वास्तव में विफल हो सकता है।

असंतुष्ट कंजर्वेटिव सांसदों में शायद सबसे मुखर सुएला ब्रेवरमैन हैं, जिनके पिता गोवा के और मां तमिल हैं और जिन्हें पिछले महीने सुनक सरकार में गृह सचिव के पद से बर्खास्त कर दिया गया था। वह और उनके सहयोगी चाहते हैं कि मानवाधिकारों पर हुए यूरोपीय सम्मेलन के प्रसतावों को पूरी तरह लागू करके विधेयक को आगे बढ़ाया जाए।

द गार्जियन अखबार ने टिप्पणी की : “यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि क्या उनकी (सुनक की) कानूनी दलीलें उनकी बयानबाजी जितनी मजबूत हैं, पिछले महीने इस मसले पर वह अनिश्चित और रक्षात्मक लग रहे थे।”

डेली मेल और द सन, आम तौर पर कंजर्वेटिव पार्टी के समर्थक हैं, दोनों अखबारों ने मीडिया कॉन्फ्रेंस में सुनक से सवाल पूछे, जिससे इस मामले में उनके मन में संदेह प्रतिबिंबित हुआ।

कैबिनेट से बर्खास्तगी के बाद से सुएला ने एक तिरस्कृत महिला की तरह व्यवहार किया है। उन्होंने सबसे पहले सुनक को लिखा एक पीड़ादायक पत्र सार्वजनिक किया। इसके बाद ब्रिटिश मीडिया में उन पर सुनक को पद से हटाने की साजिश रचने का संदेह जताया गया है। उनसे पूछा गया : “क्या यह सच नहीं है कि आप सुर्खियां बटोरने वाले व्यक्ति हैं और अपनी पार्टी में भी जहर फैलाकर ऐसा करते हैं?” उसने जवाब दिया : “सच्चाई यह है… मैंने ईमानदार होने की कोशिश की और कभी-कभी ईमानदारी असहज होती है। अगर इससे विनम्र समाज परेशान होता है, तो मुझे इसके लिए खेद है।”

उनका विचार है कि विधेयक, भले ही संसद द्वारा पारित हो जाए, “बस काम नहीं करेगा”। अन्य दक्षिणपंथी कंजर्वेटिव सांसदों और कार्यकर्ताओं का मानना है कि मसौदा अपने वर्तमान स्वरूप में अभी भी कानूनी चुनौतियों को जन्म देगा और विमानों को रवांडा के लिए उड़ान भरने से रोक देगा।

टिप्पणीकार मानते हैं कि यदि सुनक का मिशन विफल हो जाता है, तो वह इस्तीफा दे सकते हैं और उन्‍हें नेतृत्व की प्रतियोगिता का सामना करना पड़ सकता है या अचानक आम चुनाव बुलाने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है, जिसमें वह लगभग निश्चित रूप से हार जाएंगे। जनमत सर्वेक्षणों में लेबर पार्टी कंजर्वेटिवों से 20 प्रतिशत अंक आगे है।

यह सिर्फ कट्टर दक्षिणपंथी ही नहीं, बल्कि सुनक की पार्टी के मध्यमार्गी लोग भी हैं, जिन्हें इस विधेयक पर आपत्ति है। वे चिंतित हैं कि अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार मानदंडों की उपेक्षा से दुनिया में ब्रिटेन की प्रतिष्ठा को नुकसान होगा।

आव्रजन मंत्री रॉबर्ट जेनरिक, जो विवादास्पद बिल को संसद में पारित कराने के प्रभारी थे, ने बुधवार की रात इस्तीफा दे दिया, जिससे सुनक को करारा झटका लगा।

जाहिर तौर पर अंतिम मसौदा जेनरिक की पसंद के अनुरूप नहीं था। अपने त्यागपत्र में उन्होंने इसे “अनुभव पर आशा की जीत” बताया। जेनरिक को अब कंजर्वेटिव बेंच में दक्षिणपंथी विद्रोह का नेतृत्व करने वाले के रूप में देखा जाता है।

–आईएएनएस

एसजीके

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