नई दिल्ली, 10 अगस्त (आईएएनएस)। उन्नत जैव ईंधन परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करने और अधिक निवेश आकर्षित करने के प्रयास के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संशोधित प्रधान मंत्री जी-वन योजना को मंजूरी दी है।
इस योजना का उद्देश्य किसानों को उनके कृषि अवशेषों के लिए पारिश्रमिक आय प्रदान करना, पर्यावरण प्रदूषण का समाधान करना, स्थानीय रोजगार के अवसर पैदा करना और भारत की ऊर्जा सुरक्षा और आत्मनिर्भरता में योगदान देना है।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने इसको लेकर बताया कि संशोधित योजना के कार्यान्वयन की समय सीमा को 2028-29 तक पांच साल तक बढ़ाया गया है, और इसमें लिग्नोसेल्यूलोसिक फीडस्टॉक्स से उत्पादित उन्नत जैव ईंधन जैसे कृषि और वानिकी अवशेष, औद्योगिक अपशिष्ट, संश्लेषण गैस और शैवाल को इसमें शामिल किया गया है।
सरकार ने कहा, ”कई प्रौद्योगिकियों और कई फीडस्टॉक को बढ़ावा देने के लिए, अब क्षेत्र में नई प्रौद्योगिकियों और नवाचारों के साथ परियोजना प्रस्तावों को प्राथमिकता दी जाएगी।”
पीएम मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम के तहत पेट्रोल में इथेनॉल के मिश्रण को बढ़ावा दे रही है, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) इथेनॉल के साथ मिश्रित पेट्रोल बेचती है।
कार्यक्रम के तहत, पेट्रोल के साथ इथेनॉल का मिश्रण इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) 2013-14 में 38 करोड़ लीटर से बढ़कर इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) 2022-23 में 500 करोड़ लीटर से अधिक हो गया।
सरकार ने बताया कि जुलाई में सम्मिश्रण 15.83 प्रतिशत तक पहुंच गया और चालू ईएसवाई 2023-24 में संचयी सम्मिश्रण 13 प्रतिशत को पार कर गया है।
मंत्रालय के अनुसार, ओएमसी ईएसवाई 2025-26 के अंत तक 20 प्रतिशत तक के लक्ष्य को हासिल करने की राह पर है।
अनुमान है कि ईएसवाई 2025-26 के दौरान मिश्रण 20 प्रतिशत प्राप्त करने के लिए 1,100 करोड़ लीटर से अधिक इथेनॉल की आवश्यकता होगी।
इथेनॉल सम्मिश्रण लक्ष्यों को पूरा करने के लिए, केंद्र दूसरी पीढ़ी (2जी) इथेनॉल (उन्नत जैव ईंधन) जैसे वैकल्पिक स्रोतों पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है।
मंत्रालय ने बताया, “अधिशेष बायोमास कृषि अपशिष्ट जिसमें सेल्यूलोसिक और लिग्नोसेल्यूलोसिक सामग्री और औद्योगिक अपशिष्ट आदि होते हैं, उन्हें उन्नत जैव ईंधन प्रौद्योगिकी का उपयोग करके इथेनॉल में परिवर्तित किया जा सकता है।”
प्रधानमंत्री जी-वन योजना उन्नत जैव ईंधन प्रौद्योगिकियों के विकास का समर्थन करती है और ‘मेक इन इंडिया’ मिशन को बढ़ावा देती है, जिससे देश को एक टिकाऊ और आत्मनिर्भर ऊर्जा क्षेत्र बनाने की दिशा में मदद मिलेगी और 2070 तक शुद्ध-शून्य जीएचजी उत्सर्जन के भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
–आईएएनएस
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