नई दिल्ली, 13 नवंबर (आईएएनएस)। उपभोक्ताओं के लिए राहत भरी खबर। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत की खुदरा मुद्रास्फीति दर अक्टूबर में घटकर 5 महीने के निचले स्तर 4.87 प्रतिशत पर आ गई।
महीने के हिसाब से देखें तो मुद्रास्फीति दर सितंबर में 5.02 प्रतिशत थी।
पिछले वर्ष की तुलना में ईंधन की कीमतों में गिरावट आई है। सरकार ने विधानसभा चुनावों से पहले एलपीजी की कीमतों में भी कमी की है।
खाद्य मुद्रास्फीति, जो उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) का लगभग आधा हिस्सा है, अक्टूबर में 6.71 प्रतिशत थी, जबकि सितंबर में यह 6.56 प्रतिशत थी।
खाद्य तेलों की कीमत में 13.69 प्रतिशत की गिरावट आई और सब्जियों की कीमतें नियंत्रण में रहीं, जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिली।
हालांकि, दाल की कीमत चिंता का विषय बनी हुई है। महीने के दौरान कीमतों में 18.79 प्रतिशत की वृद्धि हुई और मसालों के दाम में 22.76 प्रतिशत की भारी वृद्धि हुई।
गेहूं और चावल सहित अनाज में भी माह के दौरान दोहरे अंक में 10.69 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति अब आरबीआई के टारगेट के दायरे में है और यह आरबीआई को ब्याज दर बढ़ाने से रोकेगा। लेकिन कच्चे तेल की कीमत मुद्रास्फीति को बढ़ा सकती है।
मुद्रास्फीति दर में गिरावट आरबीआई की उम्मीद के अनुरूप है, जिसने देश की आर्थिक विकास दर को बढ़ाने के लिए अपनी प्रमुख ब्याज दर को बरकरार रखा है।
हालांकि, अर्थशास्त्रियों के अनुसार, अभी भी सतर्क रहने की जरूरत है। इस साल मानसून का प्रभाव अभी दिखना बाकी है, जिसका असर खाद्य पदार्थों की कीमतों पर पड़ सकता है और इजरायल-हमास संघर्ष जैसे भू-राजनीतिक तनाव से तेल बाजार में हलचल मच सकती है।
–आईएएनएस
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