इस्केमिक हार्ट फेलियर के उपचार के लिए शोध से जगी आशा की किरण


न्यूयॉर्क, 9 मार्च (आईएएनएस)। दुनिया भर के वैज्ञानिकों की एक टीम ने दिल को फिर से ठीक करने का एक नया तरीका खोजा है। इससे दिल की बीमारी (इस्केमिक हार्ट फेलियर), जिसमें खून की कमी हो जाती है, उसके इलाज की नई उम्मीद मिली है।

एनपीजे रीजेनरेटिव मेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित, यूएस में बेलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन, ऑस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन में क्यूआईएमआर बर्गोफर मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट और सहयोगी संस्थानों द्वारा किए गए अध्ययन से कार्डियो मयोसाइट प्रसार को बढ़ावा देने के लिए एक दृष्टिकोण का पता चलता है।

बेलर में कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ रिहाम अबुलीसा ने कहा, “जब हृदय चोटिल कार्डियो मायोसाइटिस को स्वस्थ कार्डियो मायोसाइटिस से प्रतिस्थापित नहीं कर पाता है, तो यह धीरे-धीरे कमजोर होता जाता है, जो हार्ट फेल की ओर ले जाता है। इस अध्ययन में, हमने हृदय को ठीक करने में मदद करने के लिए कार्डियो मायोसाइटिस के प्रसार को उत्तेजित करने के एक नए तरीके की जांच की”

अबुलीसा ने कहा, “हमने पाया कि कार्डियो मायोसाइटिस में कैल्शियम के प्रवाह को रोकने से कोशिका प्रसार में शामिल जीन की अभिव्यक्ति बढ़ जाती है।”

उन्होंने बताया, “हमने एल-टाइप कैल्शियम चैनल (एलटीसीसी) को रोककर कोशिकाओं में कैल्शियम के प्रवेश को बंद किया। यह एक प्रोटीन है जो इन कोशिकाओं में कैल्शियम को नियंत्रित करता है। हमारे नतीजों से पता चलता है कि एलटीसीसी नई दवाएं बनाने के लिए एक लक्ष्य हो सकता है, जिससे हृदय की कोशिकाओं की संख्या बढ़ाई जा सके और उन्हें फिर से बनाया जा सके।”

अध्ययन दिखाता है कि एलटीसीसी को दवाइयों और आनुवंशिक रूप से रोकने से हृदय की मांसपेशियों की कोशिकाएं दोबारा बन सकती हैं। यह कैल्सीनुरिन की गतिविधि को बदलकर होता है, जो हृदय की मांसपेशियों की कोशिकाओं के विकास को नियंत्रित करता है।

यह खोज हार्ट फेल के रोगियों में कोशिकाओं में कैल्शियम के प्रवेश को नियंत्रित करने वाली वर्तमान दवाओं, जैसे निफेडिपिन, के उपयोग में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है। ऐसा डॉ. तामेर मोहम्मद ने कहा, जो सह-लेखक और बेलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन में कार्डियक रिजनरेशन प्रयोगशाला निदेशक हैं।

इस रिसर्च से पता चला है कि दिल को दोबारा ठीक करने के लिए कैल्शियम सिग्नलिंग पाथवे पर ध्यान देना जरूरी है। इससे दिल की बीमारी से जूझ रहे लोगों के इलाज के नए तरीके निकल सकते हैं।

–आईएएनएस

एकेएस/एएस


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