शोध ने खोजा बचपन के दुर्लभ ब्रेन डेवलपमेंट डिसऑर्डर का जीन से संबंध


नई दिल्ली, 24 जून (आईएएनएस)। न्यूजीलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ ओटागो के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं की एक टीम ने बच्चों में मस्तिष्क के विकास से जुड़े एक दुर्लभ डिसऑर्डर की नई जेनेटिक वजह खोज निकाली है। यह डिसऑर्डर बच्चों के मस्तिष्क के विकास और कार्यक्षमता को गंभीर रूप से प्रभावित करता है।

शोध में पाया गया कि सीआरएनकेएल1 नामक जीन में आए खास तरह के बदलाव गंभीर डिसऑर्डर का कारण बन सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप बच्चों में जन्म से पहले और बाद में माइक्रोसेफली (सिर का आकार छोटा होना), पोंटोसेरेबेलर हाइपोप्लासिया (ब्रेन स्टैम और सेरेबेलम का अविकसित होना), दौरे और गंभीर बौद्धिक अक्षमता देखी जाती है।

यह खोज मस्तिष्क के निर्माण और रखरखाव के लिए जरूरी “जेनेटिक निर्देशों” की जटिल प्रक्रिया को समझने में नई रोशनी डालती है।

ओटागो के बायोकेमिस्ट्री विभाग में रेयर डिसऑर्डर जेनेटिक्स लैबोरेटरी की एसोसिएट प्रोफेसर लुईस बिकनेल ने बताया, “हमारा शरीर डीएनए से जेनेटिक निर्देशों को पढ़ने और प्रोसेस करने के लिए ‘स्प्लिसिंग’ नामक एक सटीक प्रक्रिया पर निर्भर करता है। यह प्रक्रिया शरीर के लिए जरूरी बिल्डिंग ब्लॉक्स बनाती है।”

उन्होंने कहा कि स्प्लिसिंग में गड़बड़ी कई जेनेटिक डिसऑर्डर का कारण बन सकती है और यह नई खोज मस्तिष्क के विकास पर इसके गंभीर प्रभाव को दिखाती है।

अमेरिकन जर्नल ऑफ ह्यूमन जेनेटिक्स में प्रकाशित इस शोध में 10 परिवारों का अध्ययन किया गया, जिनमें से नौ में सीआरएनकेएल1 जीन के एक ही स्थान पर जेनेटिक बदलाव पाए गए। सभी प्रभावित बच्चों में समान गंभीर लक्षण थे, जो इन जेनेटिक बदलावों और डिसऑर्डर के बीच मजबूत संबंध को दिखाते हैं।

शोध की मुख्य लेखिका और पोस्टडॉक्टरल शोधकर्ता डॉ. संकालिता रे दास ने बताया, “यह शोध दिखाता है कि सीआरएनकेएल1 जीन स्वस्थ मस्तिष्क विकास के लिए महत्वपूर्ण है। यह खोज न केवल गंभीर न्यूरोलॉजिकल विकार की नई जेनेटिक वजह बताती है, बल्कि यह भी समझने में मदद करती है कि हमारे जीन मस्तिष्क के विकास को कैसे नियंत्रित करते हैं।”

उन्होंने बताया, “यह खोज प्रभावित परिवारों को उनके बच्चों की स्थिति के बारे में स्पष्टता प्रदान करती है और भविष्य में यह समझने के लिए बेस तैयार करती है कि ये जेनेटिक बदलाव केवल मस्तिष्क को ही क्यों प्रभावित करते हैं। यह शोध दुर्लभ मस्तिष्क विकारों के इलाज और रोकथाम की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”

–आईएएनएस

एमटी/एएस


Show More
Back to top button