भारत में अगले पांच वर्षों में 'हरित निवेश' में पांच गुना वृद्धि का अनुमान : रिपोर्ट


नई दिल्ली, 15 जनवरी (आईएएनएस)। भारत में 2025 से 2030 के बीच ‘हरित निवेश’ में पांच गुना वृद्धि होने का अनुमान है, जो 31 लाख करोड़ रुपये होगा। क्रिसिल की बुधवार को जारी एक लेटेस्ट रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

राष्ट्रीय राजधानी में क्रिसिल के ‘इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर कॉन्क्लेव 2025’ में प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार, 31 लाख करोड़ रुपये के निवेश में से 19 लाख करोड़ रुपये रिन्यूएबल एनर्जी और स्टोरेज में, 4.1 लाख करोड़ रुपये परिवहन और ऑटोमोटिव सेक्टर में और 3.3 लाख करोड़ रुपये तेल और गैस में निवेश किए जाने की संभावना है।

पेरिस समझौते के तहत अपडेटेड फर्स्ट नेशनली डिटरमाइंड कंट्रीब्यूशन (एनडीसी) के अनुसार देश के नेट-जीरो लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए 2070 तक अनुमानित 10 ट्रिलियन डॉलर के निवेश की आवश्यकता है।

भारत की प्रमुख एनडीसी प्रतिबद्धताओं में 2030 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की कार्बन तीव्रता में 2005 के स्तर से 45 प्रतिशत की कमी लाना शामिल है। साथ ही गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित एनर्जी रिसोर्स से क्यूमलेटिव इंस्टॉल्ड पावर कैपेसिटी के हिस्से को 50 प्रतिशत तक बढ़ाना शामिल है।

क्रिसिल के प्रबंध निदेशक और सीईओ अमीश मेहता ने कहा, “मध्यम अवधि में सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में, भारत के पास अपनी विकासात्मक और पर्यावरणीय आकांक्षाओं और प्राथमिकताओं को बैलेंस करने का अवसर है।”

उन्होंने कहा कि सरकार और कॉरपोरेट द्वारा घोषित योजनाओं और जमीनी स्तर पर प्रगति के आधार पर, “हमारा अनुमान है कि 2030 तक 31 लाख करोड़ रुपये का हरित निवेश होगा।”

भारत की कुल रिन्यूएबल एनर्जी इंस्टॉल्ड कैपेसिटी में 15.84 प्रतिशत की मजबूत दोहरे अंकों की वृद्धि दर्ज की गई। यह दिसंबर 2024 तक 209.44 गीगावाट तक पहुंच गई, जो दिसंबर 2023 में 180.80 गीगावाट थी।

लेटेस्ट सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2024 के दौरान जोड़ी गई कुल कैपेसिटी 28.64 गीगावाट थी, जो 2023 में जोड़े गए 13.05 गीगावाट की तुलना में 119.46 प्रतिशत की सालाना वृद्धि को दर्शाती है।

रिपोर्ट के अनुसार, कम जोखिम वाली स्थापित टेक्नोलॉजी, जैसे सोलर पावर, विंड पावर और दोपहिया ईवी, बैंकों और बॉन्ड बाजारों के जरिए पर्याप्त डेट फाइनेंस उपलब्ध है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि, ग्रीन हाइड्रोजन, सीसीयूएस (कार्बन कैप्चर, यूटिलाइजेशन और स्टोरेज), एनर्जी स्टोरेज और अन्य उभरती टेक्नोलॉजी जैसी उच्च जोखिम वाली परियोजनाओं के लिए, सरकारी अनुदान और प्रोत्साहन परियोजना के सफल होने में सुधार को लेकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

–आईएएनएस

एसकेटी/सीबीटी


Show More
Back to top button