पीएम सूर्य घर योजना से 7.7 लाख से ज्यादा घरों को राहत, बिजली बिल हुआ शून्य


नई दिल्ली, 16 दिसंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना देश में घरों की बिजली व्यवस्था में बड़ा बदलाव ला रही है। इस योजना के तहत अब तक देश के 7.7 लाख से अधिक घरों का बिजली बिल शून्य हो गया है। इस योजना के अंतर्गत घरों में छत पर सोलर पैनल लगाए जा रहे हैं, जिससे लोगों को बिजली बिल से निजात मिल रही है। यह जानकारी मंगलवार को नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने दी।

फरवरी 2024 में शुरू की गई इस योजना का मुख्य उद्देश्य लोगों को सस्ती और साफ ऊर्जा उपलब्ध कराना एवं उनके घरों का बिजली खर्च कम करना है। साथ ही, यह योजना देश को स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में आगे बढ़ाने में मदद कर रही है।

राज्यसभा में जानकारी साझा करते हुए नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्रीपद येसो नाइक ने कहा कि 9 दिसंबर तक पूरे देश में 19,45,758 रूफटॉप सोलर सिस्टम लगाए जा चुके हैं। इन सोलर सिस्टम से 24,35,196 परिवारों को लाभ मिला है। इनमें से लाखों परिवार ऐसे हैं, जिनका बिजली बिल अब पूरी तरह खत्म हो चुका है।

इस योजना का लक्ष्य वित्त वर्ष 2026–27 तक देश के एक करोड़ घरों में रूफटॉप सोलर सिस्टम लगाना है। इसके लिए सरकार ने 75,021 करोड़ रुपए का बजट तय किया है।

इस योजना का उद्देश्य ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना, बिजली के बिल को कम करना और देश के स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन में सहयोग करना है।

मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, इस योजना में गुजरात सबसे अग्रणी राज्य बनकर उभरा है, जहां अब तक 4.93 लाख से अधिक रूफटॉप सोलर सिस्टम लगाए गए हैं, जिससे 7.10 लाख से ज्यादा परिवारों को फायदा हुआ है। इनमें से 3.62 लाख घरों का बिजली बिल पूरी तरह शून्य हो गया है।

गुजरात के अलावा आंध्र प्रदेश, असम और हरियाणा जैसे राज्यों में भी इस योजना के तहत अच्छी प्रगति देखने को मिल रही है। इन राज्यों में हजारों परिवारों ने अपने घरों की छतों पर सोलर सिस्टम लगवाए हैं और अब वे सस्ती और स्वच्छ बिजली का उपयोग कर रहे हैं।

सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि सोलर सिस्टम लगवाना आम लोगों के लिए आसान और सस्ता हो। इसके लिए केंद्र सरकार आर्थिक सहायता दे रही है और बिना गारंटी का सस्ता लोन भी उपलब्ध करा रही है। इस लोन पर ब्याज दर केवल 5.75 प्रतिशत रखी गई है, जिससे सोलर सिस्टम लगाने का शुरुआती खर्च कम हो जाता है।

–आईएएनएस

दुर्गेश बहादुर/एबीएस


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