सेना के अस्पताल में 8 साल की बच्ची का दुर्लभ नॉन सर्जिकल ट्रांसप्लांट

सेना के अस्पताल में 8 साल की बच्ची का दुर्लभ नॉन सर्जिकल ट्रांसप्लांट

नई दिल्ली, 31 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली स्थित सेना के अस्पताल में 8 साल की एक बच्ची का गैर-सर्जिकल ट्रांसकैथेटर प्रत्यारोपण किया गया। यह बच्ची जन्मजात हृदय की समस्या से पीड़ित थी। प्रत्यारोपण, कार्डियक (फुफ्फुसीय) वाल्व का दोष, कमर में एक छोटे से ‘निक’ के माध्यम से किया गया।

लड़की की उम्र 8 वर्ष है और वजन मात्र 28 किलोग्राम है। देश में विशेष रूप से सरकारी क्षेत्र में इस गैर-सर्जिकल वाल्व प्रत्यारोपण से गुजरने वाली सबसे छोटी और कम उम्र की बच्ची है।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक यह उपलब्धि (रिसर्च एंड रेफरल) दिल्ली छवानी, नई दिल्ली में बाल चिकित्सा कार्डियोलॉजी टीम ने एएफएमएस (सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा) ने हासिल की है। इसके साथ ही अस्पताल ने अपनी उपलब्धियों की शृंखला में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि जोड़ ली है। यह जटिल उन्नत प्रक्रिया लेफ्टिनेंट जनरल दलजीत सिंह, महानिदेशक, सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा (डीजीएएफएमएस), जो सशस्त्र बलों के सबसे वरिष्ठ सेवारत बाल रोग विशेषज्ञ हैं, लेफ्टिनेंट जनरल अरिंदम चटर्जी, डीजीएमएस (सेना) और लेफ्टिनेंट जनरल अजित नीलकांतन, कमांडेंट, सेना अस्पताल (रिसर्च एंड रेफेरल) के संरक्षण और सक्षम मार्गदर्शन में किया गया।

टीम ने पिछले एक वर्ष में अब तक पल्मोनरी वाल्व प्रत्यारोपण के 13 मामलों को सफलतापूर्वल संपन्न किया है, जो देश के दो सरकारी संस्थानों में सबसे ज्यादा है, जिन्होंने ऐसे मामले निपटाए हैं।

7 अक्टूबर 2022 को सेना अस्पताल (रिसर्च एंड रेफेरल) की टीम द्वारा एएफएमएस में इस प्रक्रिया को शुरू किए जाने तक, कार्डियक (फुफ्फुसीय) वाल्व को ओपन हार्ट बाय-पास सर्जरी के माध्यम से बदला जाता था। यह न केवल बेहद दर्दनाक और बोझिल है बल्कि बीमारी तथा मृत्यु दर के साथ-साथ लंबे समय तक अस्पताल में रहने का भी गंभीर खतरा होता है।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक इस नवीन गैर-सर्जिकल प्रक्रिया के साथ, रोगी को शरीर पर किसी भी निशान के बिना हस्तक्षेप के बाद 2-3 दिनों के भीतर छुट्टी दे दी जाती है। देश के सशस्त्र बलों और सरकारी क्षेत्र में इस अग्रणी अत्यधिक विशिष्ट गैर-सर्जिकल प्रक्रिया की शुरुआत एक बड़ा परिवर्तनकारी है। इसने वाल्व प्रतिस्थापन की आवश्यकता वाले कई बच्चों के लिए जीवन की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार के साथ नए रास्ते खोल दिए हैं।

रक्षा मंत्रालय का मानना है कि यह बच्चों में उन्नत हृदय देखभाल प्रदान करने की दिशा में एक बड़ी छलांग है और न केवल एएफएमएस के लिए बल्कि देश के अन्य सरकारी अस्पतालों के लिए एक नए युग की शुरुआत है, जो उन्हें एक नया और उच्च मंच प्रदान करता है।

–आईएएनएस

जीसीबी/एसकेपी

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