रणदीप हुड्डा को याद आया पापा का त्याग, बोले- मेरी फिल्म के लिए बेच दी थी प्रॉपर्टी


मुंबई, 15 जून (आईएएनएस)। फादर्स डे के मौके पर आईएएनएस से बात करते हुए बॉलीवुड एक्टर रणदीप हुड्डा ने बताया कि जब वह काफी बीमार थे और पैसों की तंगी से जूझ रहे थे, तो उस समय उनके पापा डॉ रणबीर हुड्डा ने भरपूर साथ दिया था। उनका हौसला बढ़ाया और उस कठिन दौर से बाहर निकलने में मदद की।

रणदीप हुड्डा ने आईएएनएस को दिए एक इंटरव्यू में बताया, ”एक समय ऐसा था जब मैं मेलबर्न में पढ़ाई ठीक से नहीं कर पा रहा था। उसी समय मेरे मन में एक्टर बनने का ख्याल आया। मेरे पापा ने पहले ही कह दिया था- ‘अगर तुम ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई करके अपनी जिंदगी बिगाड़ रहे हो, तो बेहतर है कि वापस आ जाओ।’

यहीं से एक्टिंग करियर की बात शुरू हुई। शुरुआत में मेरे पापा ने मुझे एक्टिंग में जाने से बहुत रोका, जो आमतौर पर सभी के मां-बाप करते हैं, खासकर वो, जो फिल्म इंडस्ट्री से नहीं हैं। लेकिन जब पापा ने देखा कि मेरे अंदर एक्टिंग के प्रति कितना जुनून है, तो वह मेरे सबसे बड़े सपोर्ट सिस्टम बन गए। उन्होंने मुझे सलाह दी कि किसी पर निर्भर रहने के बजाय, खुद एक्टिंग की सही ट्रेनिंग लेकर स्किल्स सीखो।”

रणदीप हुड्डा ने आगे बताया कि जब वह फिल्म ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ बना रहे थे, जिसमें वह न केवल एक्टिंग कर रहे थे, बल्कि खुद ही इसे डायरेक्ट और प्रोड्यूस भी कर रहे थे, तब उनके साथ एक हादसा हुआ। उस हादसे के बाद उनकी तबीयत काफी बिगड़ गई। उस वक्त उन्हें सेहत और पैसों की बड़ी दिक्कतें झेलनी पड़ीं। वह एक ऐसे मोड़ पर खड़े थे, जहां उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि आगे क्या करें।

उस मुश्किल वक्त में फिर से उनके पिता ने उनका साथ दिया। उन्होंने एक बड़ा फैसला लिया और रणदीप की मुंबई में मौजूद एक प्रॉपर्टी बेच दी ताकि फिल्म पूरी हो सके। अभिनेता ने इस कदम को अपने जीवन का अहम मोड़ बताया। उन्होंने कहा कि इस मदद ने उन्हें आगे बढ़ने की हिम्मत और ताकत दी।

रणदीप ने कहा, ”हम पैसों की समस्या से जूझ रहे थे, तब मेरे पापा ने साहस दिखाया और मेरी मुंबई की प्रॉपर्टी बेच दी ताकि मैंने जो काम शुरू किया था, उसे पूरा कर सकूं। उनके इस बड़े त्याग ने मुझे एक अलग ताकत दी।”

रणदीप हुड्डा ने कहा, ”मेरे पापा मेरे हीरो हैं, मेरी राह दिखाने वाली रोशनी हैं। जो कुछ मैं हूं, एक्टर और फिल्ममेकर, वो सब इसलिए… क्योंकि उन्होंने मुझ पर भरोसा करना कभी नहीं छोड़ा।”

–आईएएनएस

पीके/केआर


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