शिबू सोरेन का जीवन सहजता और समर्णण की मिसाल : राजनाथ सिंह


रांची, 16 अगस्त (आईएएनएस)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शनिवार को रामगढ़ के नेमरा स्थित मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पैतृक आवास पहुंचे, जहां उन्होंने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के श्राद्ध कर्म में हिस्सा लिया। सबसे पहले राजनाथ सिंह ने गुरुजी की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। उसके बाद उन्होंने हेमंत सोरेन और उनके परिवार से मिलकर गहरी संवेदनाएं व्यक्त की।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन से मेरी कई मुलाकातें हुईं। उनकी सहजता, सरलता एवं व्यक्तित्व मुझे प्रभावित करती थी। गुरुजी सिर्फ आदिवासी ही नहीं, बल्कि अन्य समाज के भी अभिभावक के रूप में जाने जाते थे। बिरसा मुंडा के बाद आदिवासी समाज में अगर कोई महान योद्धा पैदा हुआ, तो वे दिशोम गुरु शिबू सोरेन ही थे। वे हमारे बीच नहीं रहे। यह एक अपूरणीय क्षति है। उन्होंने अपना जीवन गरीबों की सेवा में समर्पित कर दिया। मैं अपनी, अपनी सरकार और अपनी पार्टी की ओर से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

वहीं, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पैतृक आवास पहुंचे और उन्होंने शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि शिबू सोरेन की स्मृति में हम तेलंगाना सरकार की ओर से हैदराबाद में शिबू सोरेन भवन का निर्माण करेंगे। बिरसा मुंडा को अपना आदर्श मानते हुए शिबू सोरेन ने जीवन भर झारखंड के लोगों के लिए कड़ी मेहनत की और लड़ाई लड़ी। उन्होंने तमाम तरह की परेशानियों को झेलते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी बनाई। जब तेलंगाना आंदोलन चल रहा था, तब वे तेलंगाना आए और तेलंगाना के लोगों को जहां भी जरूरत पड़ी, उन्होंने मदद की। हम उनके परिवार के साथ खड़े हैं।

उन्होंने आगे कहा कि मैं सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे का संदेश लेकर आया हूं। शिबू सोरेन ने आदिवासियों के लिए जो संघर्ष किया है, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है। उनसे हम लोगों का संबंध काफी अच्छा रहा, वह बहुत ही सरल स्वभाव के थे और गरीबों को लेकर उनके दिल में हमेशा एक तड़प रहती थी।

वहीं, निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव भी शिबू सोरेन के श्राद्ध कर्म में शामिल हुए और उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस दौरान उन्होंने कहा कि शिबू सोरेन एक ऐसे व्यक्ति थे, जो कभी थके नहीं, कभी झुके नहीं और सिर्फ पिछड़े वर्ग के ही नहीं, बल्कि करोड़ों गरीबों की आवाज बने। उन्होंने कभी सत्ता की परवाह नहीं की। आज उनके न रहने से एक खालीपन आया है, जिसे कभी भरा नहीं जा सकता।

–आईएएनएस

एकेएस/एबीएम


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