राहुल गांधी को बिहार के ‘ब’ की भी समझ नहीं है: धर्मेंद्र प्रधान


नई दिल्ली, 7 नवंबर (आईएएनएस)। बिहार विधानसभा चुनाव के बीच कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी की तरफ से वोट चोरी को लेकर आए बयान पर केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पलटवार किया है।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि राहुल गांधी को बिहार के ‘ब’ की भी समझ नहीं है, इसलिए चुनाव के बीच कुछ भी गैर-जिम्मेदाराना बयान दिए जा रहे हैं। उनके बयानों का खामियाजा महागठबंधन के उनके साथी दलों को उठाना पड़ता है।

केंद्रीय मंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखी ‘एक्स’ पोस्ट में कहा कि बिहार और बिहार के मेहनती लोगों पर कुछ भी बोलने से पहले राहुल गांधी को अपने अतीत में झांकना चाहिए। आजादी के बाद 40 साल तक बिहार में कांग्रेस का शासन रहा। उसके बाद 15 साल तक कांग्रेस के साथी दल आरजेडी ने राज किया। इन 55 वर्षों में कांग्रेस और आरजेडी ने मिलकर बिहार को पिछड़ापन के गर्त में धकेलने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी।

उन्होंने कहा कि 2005 में जब बिहार के लोगों ने आरजेडी के जंगलराज को उखाड़ फेंका और एनडीए की सरकार बना दी, कांग्रेस को यह भी अच्छा नहीं लगा और 2005 से 2014 तक 9 वर्षों में केंद्र सरकार में रहते हुए कांग्रेस ने बिहार के साथ सौतेला व्यवहार किया, इसलिए राहुल गांधी को कोई भी सवाल पूछने से पहले अतीत में बिहार के साथ किए अपनी सरकारों के अन्याय का हिसाब देना चाहिए।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर वाकई राहुल गांधी बिहार के लिए फिक्रमंद हैं तो उनको चुनौती है कि वो 2004 से 2014 के बीच केंद्र की कांग्रेस सरकार द्वारा बिहार को दी गई योजना-परियोजना अथवा अनुदान की तुलना 2014 से 2025 के बीच मोदी सरकार द्वारा बिहार को दिए अनुदान तथा योजना-परियोजना से करके बता दें। दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

इससे पहले केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने हरियाणा में ‘वोट चोरी’ के आरोपों पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को करारा जवाब दिया था। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी झूठ और फाल्स नैरेटिव के रिसर्च सेंटर बन चुके हैं। हर बार उनके झूठ का बम फुस्स हो जाता है।

केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस बिहार में होने वाली करारी हार से अपना सिर बचाने का एक हथकंडा मात्र है। यह सबको पता है कि राहुल गांधी देश के संविधान, लोकतंत्र, लोकतांत्रिक व्यवस्था, संसदीय प्रणाली और जनता के मताधिकार में विश्वास नहीं रखते हैं। वह एक ऐसे आदर्श लोक में खोए हैं जिसमें उनको लगता है कि ‘न खाता न बही, जो राहुल गांधी कहें, वहीं सही’।”

–आईएएनएस

एमएस/डीकेपी


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