पुष्पेन्द्र कुमार गर्ग: 50 साल की उम्र में नाव से नापी दुनिया


नई दिल्ली, 21 नवंबर (आईएएनएस)। भारत में नौकायन का एक खेल के रूप में विकास बेहद धीमा रहा है। हम अभी भी इस खेल में विकासशील अवस्था में हैं। लेकिन, लंबे समय से हमारे देश में नौकायन को लोकप्रिय बनाने का प्रयास चलता रहा है। पुष्पेन्द्र कुमार गर्ग का नाम इसमें बेहद अहम है।

पुष्पेन्द्र कुमार गर्ग का जन्म 22 नवंबर 1963 को हाथरस, उत्तर प्रदेश में हुआ था। गर्ग भारत के पहले एकल नौकायात्री हैं। 1984 में भारतीय नौसेना में कमीशन प्राप्त करने के बाद उन्हें 1985 में पहली बार विश्व परिक्रमा करने का अवसर मिला। यह यात्रा 15,000 समुद्री मील की थी, 14 महीने की इस यात्रा में छह नौ सैनिकों ने भाग लिया था। इस यात्रा के बाद से ही उनमें एकल नौकायन के प्रति लगाव बढ़ा। वे भारतीय नौसेना के पूर्व लेफ्टिनेंट कमांडर और देश के पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने एकल नौकायन द्वारा विश्व भ्रमण पूरा किया।

2014 में 50 साल की उम्र में उन्होंने 56 फुट लंबी नाव ‘करुणा’ से मुतलेकर, मुंबई से अकेले नौकायन शुरू किया और ‘सूगर चैलेंज’ रूट के तहत विश्व की परिक्रमा की। यह रूट केप ऑफ गुड होप, केप ल्यूइन और केप हॉर्न – तीनों महान केपों को दक्षिण से पार करना अनिवार्य करता है, जो विश्व की सबसे खतरनाक समुद्री यात्रा मानी जाती है। 30,374 समुद्री मील (लगभग 56,250 किमी) की यह यात्रा उन्होंने 4 अगस्त 2014 से 28 मार्च 2015 तक मात्र 237 दिन में पूरी की। गर्ग ने अपनी नाव ‘करुणा’ से 2014-15 में विश्व परिक्रमा करते हुए वैश्विक स्तर पर लोकप्रियता हासिल की थी। वह सूगर रूट पूरा करने वाले एशिया के पहले व्यक्ति थे।

उन्होंने 1993 में जिम्बाब्वे में एंटरप्राइज क्लास वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल और 1997 में गोवा, इंडिया में एंटरप्राइज क्लास वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता था।

पुष्पेन्द्र कुमार गर्ग की समुद्री यात्राएं न सिर्फ भारत के बल्कि दुनियाभर के लोगों के लिए साहस और वीरता के पर्याय की तरह हैं।

भारत सरकार अर्जुन पुरस्कार और मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से उन्हें सम्मानित कर चुकी है। भारतीय नौसेना द्वारा ‘नौसेना मेडल’ के अलावा कई अन्य सम्मान भी उन्हें मिल चुके हैं। सेवानिवृत्त हो चुके पुष्पेन्द्र गोवा युवाओं को नौकायन का प्रशिक्षण देते हैं।

–आईएएनएस

पीएके


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