प्रयागराज, 29 नवंबर (आईएएनएस)। आस्था की नगरी उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं। शुक्रवार को यहां गंगा तट के किनारे किन्नर अखाड़े ने महाकुंभ के लिए भूमि पूजन किया। साथ ही इस अखाड़े के संतों ने देवी-देवताओं का आह्वान करते हुए इसके सकुशल संपन्न होने की कामना की।
किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर कौशल्या नंद गिरी ने आईएएनएस से कहा, “आज हम सभी विधि-विधान से किन्नर अखाड़े के भूमि पूजन समारोह में सम्मिलित हुए हैं। आज से किन्नर अखाड़े का सीजन भी शुरू हो जाएगा। जैसे 2019 में किन्नर अखाड़ा आकर्षण का केंद्र था, वैसे ही 2025 में भी हमारा किन्नर अखाड़ा एक प्रमुख आकर्षण रहेगा। हमारा अखाड़ा हमेशा से सनातन धर्म को बढ़ावा देता आया है और सामाजिक मुद्दों पर भी काम करता है। इस बार हम अपने शिविर में देश-विदेश से आए किन्नर बहनों को संत का दर्जा देंगे। किन्नर अखाड़े में हवन, पूजा, और सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। इसके अलावा, किन्नर अखाड़े में दीपमालिका और भव्य सजावट भी की जाएगी। हमारा किन्नर अखाड़ा इस बार भी बड़े धूमधाम से सीजन की शुरुआत करेगा, और आपको इसे देखकर खुशी होगी।”
उन्होंने आगे कहा, “हमारा किन्नर अखाड़ा इस बार “प्लास्टिक-मुक्त कुंभ” के रूप में एक नई पहल शुरू करेगा। हम लोग इस कुंभ को स्वच्छ और दिव्य बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं, ताकि भारत को पूरी दुनिया में स्वच्छता का प्रतीक माना जाए। केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही इस कार्य में पूरी तरह से जुटी हुई हैं, ताकि 2025 का कुंभ और भी भव्य और दिव्य हो। हम किन्नर अखाड़ा में प्लास्टिक के स्थान पर पत्तल का उपयोग करेंगे, ताकि पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दुनिया तक पहुंचे। हम यह दिखाना चाहते हैं कि भारत में हम स्वच्छता के लिए कितनी मेहनत कर रहे हैं।”
महामंडलेश्वर आनंद गिरि ने बताया, “भूमि पूजन का यह अवसर हमारे लिए बहुत सुखद है, क्योंकि छह साल से हम इंतजार कर रहे थे कि कब हमारा महाकुंभ आयोजन शुरू होगा। साल 2019 में हमारे कुंभ आयोजन में कुछ कमियां थीं, लेकिन इस बार हम उन सभी कमियों को दूर करेंगे। सरकार से जो भी सुविधाएं मिलनी चाहिए, वे हमें पूरी तरह से मिलेंगी। आप लोग देख सकते हैं कि इस बार किन्नर अखाड़े को जो विशाल स्थान दिया गया है, उससे हमारा अखाड़ा इस बार प्रयागराज में सबसे दिव्य और भव्य होगा।”
उन्होंने आगे कहा, “हमारे भारतीय किन्नर समुदाय के साथ-साथ विदेशों से भी बहुत से ट्रांसजेंडर, किन्नर, और समग्र एलजीबीटीक्यू समुदाय के लोग इस बार हमारे अखाड़े में शामिल होंगे, और यह एक नई शुरुआत होगी – देश के लिए और सनातन धर्म के लिए। इस बार पट्टाभिषेक की संख्या भी बहुत अधिक होगी, क्योंकि हर कोई चाहता है कि वह सनातन धर्म में शामिल हो। इसलिए, 13 जनवरी के बाद, जब पहला स्थान खत्म हो जाएगा, तब से हमारे पट्टाभिषेक की प्रक्रिया शुरू होगी। हम उम्मीद करते हैं कि 30 से 35 लोग इस अवसर पर पट्टाभिषेक करेंगे।”
–आईएएनएस
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