'हार्डकोर' राजनीतिक फिल्म लेकर आ रहे प्रकाश झा, कहा- 'सच को पर्दे पर लाने का मेरा छोटा सा प्रयास है'

मुंबई, 23 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय सिनेमा में राजनीति और समाज को पर्दे पर दिखाने वाले फिल्म निर्माताओं में प्रकाश झा का नाम सबसे ऊपर आता है। उनकी फिल्मों ने हमेशा दर्शकों को सोचने पर मजबूर किया है और सामाजिक मुद्दों को मनोरंजन के साथ पेश किया है। ‘गंगाजल’, ‘राजनीति’ और ‘सत्याग्रह’ जैसी फिल्मों के जरिए उन्होंने राजनीतिक भ्रष्टाचार, जातिवाद और समाज की जटिलताओं को बेहद सटीक तरीके से दिखाया है।
अब, 2025 के आखिर में, उन्होंने घोषणा की है कि अगली फिल्म उनके करियर की सबसे बेहतरीन राजनीतिक ड्रामा होगी, और यह उनकी फिल्मों की लाइनअप में एक नया मील का पत्थर साबित होगी।
प्रकाश झा ने आईएएनएस से बात करते हुए बताया कि उनकी नई फिल्म पूरी हो चुकी है और इसकी राजनीतिक आवाज सबसे जोरदार होगी। उन्होंने कहा, ”मेरी फिल्मों में राजनीति का असर जरूर दिखता था, लेकिन वह कभी पूरी तरह ‘हार्डकोर’ राजनीतिक नहीं थीं। लेकिन अब आने वाली फिल्म दर्शकों को सीधे राजनीति और उसके सिद्धांतों से रूबरू कराएगी।”
उन्होंने अपनी पिछली फिल्म ‘राजनीति’ का उदाहरण देते हुए बताया कि फिल्म की कहानी सत्ता हासिल करने और परिवार में ताकत पाने की थी। लेकिन, उस समय यह फिल्म विचारधारा, संविधान या मानवाधिकारों जैसे गंभीर राजनीतिक मुद्दों पर ज्यादा नहीं गई थी। वहीं उनकी नई फिल्म आज के समय की राजनीति, उसकी जटिलताएं और समाज पर इसका असर दिखाएगी।
प्रकाश झा ने कहा कि यह फिल्म राजनीतिक सच को पर्दे पर लाने का मेरा छोटा-सा प्रयास है।
इससे पहले आईएएनएस को दिए इंटरव्यू में उन्होंने स्वतंत्र सिनेमा की स्थिति और इसे बेहतर बनाने के तरीकों पर अपने विचार साझा किए थे।
प्रकाश झा ने बताया कि मल्टीप्लेक्स के आने से फिल्मों को दिखाने का प्लेटफॉर्म तो बेहतर हुआ है, लेकिन रिलीज प्रक्रिया में समस्याएं आ गई हैं। उन्होंने कहा, ”छोटे बजट की फिल्म हो या बड़ी, रिलीज की लागत लगभग समान हो जाती है। यही वजह है कि छोटे फिल्म निर्माता अक्सर मल्टीप्लेक्स में अपनी फिल्म को समय पर रिलीज नहीं कर पाते।”
प्रकाश झा ने बताया कि मल्टीप्लेक्स के आने से फिल्मों को दिखाने का प्लेटफॉर्म तो बेहतर हुआ है, लेकिन रिलीज प्रक्रिया में समस्याएं आ गई हैं। छोटी बजट की फिल्म हो या बड़ी, रिलीज की लागत लगभग समान हो जाती है। यही वजह है कि छोटे फिल्म निर्माता अक्सर मल्टीप्लेक्स में अपनी फिल्म को समय पर रिलीज नहीं कर पाते।
–आईएएनएस
पीके/एबीएम