पुलिस कमिश्नर डॉ. आरके स्वर्णकार चार माह में ही हटाए गए…

महज चार माह में हटाए गए कानपुर के चौथे पुलिस कमिश्नर डॉ. आरके स्वर्णकार न तो शहर से तालमेल बैठा पाए और न ही अपने विभाग के अफसरों से। शहर को हिला देने वाली वारदात में मौके पर न पहुंचकर शहरियों की नाराजगी का शिकार बने तो ज्यादातर अधिकार अपने पास सुरक्षित कर विभाग के वरिष्ठ अफसरों को खटकने लगे थे। 19 अगस्त को रिटायरमेंट के ढाई माह पहले शासन ने शहर के तीसरे पुलिस कमिश्नर के रूप में डॉ. बीपी जोगदंड को तैनाती दी थी। चार माह पहले 1996 बैच के आईपीएस डॉ. आरके स्वर्णकार को चौथा पुलिस कमिश्नर बनाया गया था। 21 अगस्त को उन्होंने यहां जॉइनिंग की थी।

जॉइन करने के एक सप्ताह बाद ही उनकी मीडियाकर्मियों से कहासुनी हो गई थी। इसके बाद उन्होंने प्रेस रूम को रातोंरात फरियादियों के लिए आगंतुक कक्ष बना दिया था। हालांकि मीडियाकर्मियों के हंगामे के बाद दोबारा उसे प्रेस रूम में तब्दील करा दिया था।

शहर को आहत कर देने वाले मसलों की अनदेखी की
31 अक्तूबर को आचार्यनगर निवासी कपड़ा कारोबारी मनीष कनोडिया के बेटे कुशाग्र की फिरौती के लिए अपहरण के बाद हत्या कर दी गई थी। सारे अधिकारी व राजनेता पीड़ित परिवार को सांत्वना देने पहुंचे, लेकिन पुलिस कमिश्नर 48 घंटे बाद बाद भी नहीं गए थे। काफी किरकिरी के बाद दो दिन बाद कारोबारी के घर पहुंचे थे।

दुष्कर्म पीड़ित नाबालिग छात्रा के घर भी नहीं पहुंचे थे
22 दिसंबर को रावतपुर में कक्षा छह की नाबालिग छात्रा से स्कूल के वैन चालक ने दुष्कर्म किया था। घटना को लेकर छात्रों और इलाकाई लोगों ने प्रदर्शन और नारेबाजी की थी। इस संवेदनशील प्रकरण में भी पुलिस कमिश्नर ने पीड़ित परिवार से मिलना जरूरी नहीं समझा था।

अपनों के बीच अनबन भी बनी कारण
पुलिस कमिश्नर ने सभी अधिकार अपने पास रख लिए थे। इसके बाद मातहत अफसरों की विभाग में पूछ और इज्जत कम हो गई थी। इससे मातहतों मेें नाराजगी थी। अफसरों के बीच चल रहे अनबन की खबर राजधानी लखनऊ तक पहुंच गई थी।

जनप्रतिनिधि भी नहीं थे खुश
दवा व्यापारी अमोलदीप सिंह भाटिया और बीजेपी पार्षद शौम्या शुक्ला के पति अंकित शुक्ला के बीच कार ओवरटेक को लेकर विवाद हुआ था। पुलिस ने पार्षद पति समेत पांच लोगों को जेल भेजा था। इस प्रकरण में सत्ताधारी दल के नेता चाहते थे कि पार्टी से जुड़े लोगों पर कार्रवाई न हो। इससे नाराज भाजपाइयों ने कमिश्नर का आवास घेरकर हंगामा किया था। इस मामले में सत्ताधारी दल के वरिष्ठ नेता, सत्ताधारी विधायक खफा थे। इस बीच 24 दिसंबर को पुलिस कमिश्नर ने धर्मांतरण को लेकर ज्ञापन देने पहुंचे बजरंगदल के नेता के साथ भी अभद्रता की थी।

अधिवक्ताओं और मीडिया से भी बनी टकराव की स्थिति
पुलिस कमिश्नर डॉ. आरके स्वर्णकार ने मीडिएशन सेंटर में वकीलों का प्रवेश वर्जित कर दिया था। 16 दिसंबर को सेंटर के बाहर नोटिस चस्पा कर दिया गया। इससे नाराज अधिवक्ताओं ने पुलिस कमिश्नर कार्यालय का घेराव करते हुए हंगामा शुरू कर दिया था। इसके बाद पुलिस कमिश्नर ने अधिवक्ताओं के प्रवेश पर लगी रोक काे हटाया था। इसी तरह कमिश्नर कार्यालय में बने प्रेस रूम को फरियादियों के लिए आगंतुक कक्ष बना दिया था। हालांकि बाद में उन्हें अपना फैसला वापस लेना पड़ा था।

सोशल मीडिया पर अपराधी के साथ फोटो हुआ था वायरल
हाल में उनका फोटो चकेरी के केडीए कॉलोनी निवासी जज के नाम पर डेढ़ लाख रुपये वसूलने वाले शब्बीर अहमद के साथ वायरल हुआ था। वायरल फोटो में पुलिस कमिश्नर उसके घर में दिखाई दे रहे थे। इससे भी बहुत किरकिरी हुई थी।

यातायात व्यवस्था, महिला अपराधों पर होगा फोकस : अखिल कुमार
पांचवें पुलिस कमिश्नर के रूप में गोरखपुर जोन के एडीजी अखिल कुमार को शहर की कमान सौंपी गई है। आईपीएस अखिल कुमार लखनऊ, गाजियाबाद, अलीगढ, कन्नौज, अमरोहा, में एसपी/एसएसपी के रूप में काम कर चुके हैं। 2010 में डीआईजी मेरठ के पद पर रहे। वहीं से केंद्रीय प्रतिनियुक्त पर चले गए थे। विदेश व जल संसाधन मंत्रालय में सेवा देने के बाद उनकी यूपी में वापसी हुई थी। फोन पर बातचीत में उन्होंने बताया कि अमेरिका के कोलंबिया में मास्टर डिग्री भी हासिल कर चुके हैं। शहर की यातायात व्यवस्था, महिला अपराधों और विभाग की बेहतर छवि के लिए काम करना उनकी प्राथमिकता में होगा। पुलिस कमिश्नर के रूप में उनका यह पहला कार्यभार होगा। मूलरूप से बिहार के बेगूसराय के रहने वाले अखिल कुमार सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक भी किया है। उत्कृष्ट सेवाओं के लिए वर्ष 2005 व 2010 में पीएमजी मेडल प्राप्त कर चुके हैं। इसके अलावा वर्ष 2004-2005 में यूएन सर्विस मेडल, वर्ष 2021 में डीजी कमांडेशन डिस्क सिल्वर, 2023 में जीडी कमांडेशन गोल्ड हासिल किया है।

Show More
Back to top button