परीक्षा से पहले बच्चों के बीच पहुंचे पीएम मोदी

परीक्षा से पहले बच्चों के बीच पहुंचे पीएम मोदी

सोमवार को प्रधानमंत्री ने देश भर के 10वीं और 12वीं क्लास के छात्रों के साथ ‘परीक्षा पर चर्चा’ किया। 29 जनवरी को हो रहे इस विशेष चर्चा में PM नरेंद्र मोदी ने स्टूडेंट्स के तनाव को कम करने के कई टिप्स देते हुए उनके मनोबल को भी खूब बढ़ावा दिया। ‘परीक्षा पर चर्चा’ का यह विशेष आयोजन दिल्ली प्रगति मैदान के भारत मंडपम में आयोजित हुआ, जहाँ करीब 3 हजार प्रतिभागी सम्मिलित हुए। इस कार्यक्रम में PM ने न सिर्फ देश भर के स्टूडेंस्ट बल्कि टीचर्स और पेरेंट्स के साथ भी बोर्ड परीक्षा से पहले होने वाले तनाव और डर को कम करने के लिए कई टिप्स दिए। ‘परीक्षा पर चर्चा’ का यह 7वीं बार आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने दिल्ली के भारत मंडपम पहुँचते ही सबसे पहले छात्रों द्वारा तैयार किए गए प्रोजेक्ट्स को देखा, जिसके बाद उन्होंने मंच से अपना संबोधन शुरू किया। इस बीच PM मोदी ने बच्चों के अनेकों सवालों का जवाब भी दिया।

किसी भी तरह के दबाव से निपटने के लिए हमें खुद को ढालना होगा: PM मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से छात्रों ने सवाल किया कि वो परीक्षा और सिलेबस के दबाव को कैसे हैंडल करें। इसके जवाब में पीएम ने कहा, हम दबाव होने के बावजूद चाहें तो अपनी इच्छाशक्ति से सफलता हासिल कर सकते हैं। हम सभी को दबाव से निपटने की कला को जल्दी में नहीं, धीरे-धीर लागू करना चाहिए। यहाँ दबाव को संभालना केवल मात्र विद्यार्थी का काम नहीं है, बल्कि इसकी जिम्मेदारी शिक्षकों और अभिभावकों पर भी है। इस बीच अपने संबोधन में उन्होंने बच्चों को मजबूत बनने की प्रेरणा देने के साथ ही उनको एक दूसरे के बीच हेल्दी कंपटीशन करने का भी सलाह दिया। उन्होंने कहा कि “यदि आपके दोस्त ने 90 अंक प्राप्त किए हैं, तो ऐसा नहीं है कि आपके 10 अंक बचे हैं। आपको अभी भी 100 अंक प्राप्त करने हैं और ऐसा होना चाहिए।” आपकी विचार प्रक्रिया होनी चाहिए। वह मित्र आपकी प्रेरणा होना चाहिए न कि अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा। यदि छात्र इस विचार प्रक्रिया का पालन नहीं करते हैं तो आप जीवन में कभी भी उन लोगों से मित्रता नहीं कर सकते जो आपके लिए सही हैं।”

शिक्षक, छात्रों के साथ बनाएं अटूट बंधन- PM मोदी

छात्रों के अलावा प्रधानमंत्री ने शिक्षकों से भी बात कि। इस दौरान उन्होंने शिक्षकों से कहा कि, “एक शिक्षक का अपने छात्र के साथ रिश्ता पहले दिन से ही बनना शुरू हो जाना चाहिए। ताकि आपका छात्र आपसे खुलकर बात करने में सक्षम हो पाए। अगर आप ऐसा करेंगे तो छात्रों को परीक्षाओं के दौरान तनाव बिलकुल नहीं होगा। छात्र अपने तनाव के बारे में बात करने के लिए अपने शिक्षकों को फोन नहीं करते हैं, क्योंकि छात्र को लगता है कि उनके शिक्षक के साथ उनका रिश्ता विषय और पाठ्यक्रम तक ही सीमित है। जिस दिन शिक्षक ऐसा करने में सक्षम होते हैं छात्रों को यह महसूस कराएं कि वे जीवन की हर समस्या के लिए उन तक पहुंच सकते हैं, इससे तनाव पूरी तरह से दूर हो जाएगा क्योंकि छात्रों को लगेगा कि उनके पास एक मार्गदर्शक शक्ति है।” वहीँ, वहां मौजूद एक छात्र के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “हमेशा अपना पूरा प्रश्न पत्र पहले से पढ़ें और एक रणनीति बनाएं कि कौन सी परीक्षा में कितना समय लगेगा। उसी के अनुसार अपनी रणनीति तैयार करें।”

रोज लिखने की करें कोशिश

इस बीच प्रधानमंत्री ने बच्चों को रोज लिखने का प्रैक्टिस करने का आव्हान भी किया। उन्होंने कहा कि “आईपैड और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर समय बिताने के कारण बहुत से छात्रों की कलम और कागज से लिखने की आदत छूट गई है। दैनिक आधार पर छात्रों को लिखने का अभ्यास करना चाहिए। एक विषय लें और उस पर लिखें, और फिर उसमें खुद ही सुधार करें। यह अभ्यास आपको अपनी गलतियों को सुधारने में मदद करेगा और आपको सही तरीके से रणनीति बनाने में भी मदद करेगा।

परीक्षा के तनाव को आखिरी मिनट में कम करने के बताएं टिप्स

छात्रों ने जब उनसे पूछा कि परीक्षा के दौरान आखिरी मिनट के समय तनाव से कैसे बचें तो उनके इस इस सवाल के जवाब पर पीएम मोदी ने हस्ते हुए जवाब दिया। इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि, “परीक्षा शुरू होने से पहले खुश रहना और चुटकुले सुनाना महत्वपूर्ण है। जब आप परीक्षा हॉल में बैठें तो कुछ मिनटों के लिए अपने लिए जिएं और गहरी सांस लें।”उन्होंने कहा, “विभिन्न चीजों के बारे में चिंता न करें जैसे कि शिक्षक कहां है, सीसीटीवी कहां है आदि। इनमें से कोई भी आपको प्रभावित नहीं करता है। बस एक गहरी सांस लें और आराम करें।”

मोबाइल के दुष्प्रभाव को रोकने के लिए पूरे परिवार को बनाने होंगे नियम – प्रधानमंत्री मोदी

कार्यक्रम में मौजूद कुछ अभिभावकों और छात्रों ने PM से सोशल मीडिया और मोबाइल के बढ़ते इस्तेमाल से होने वाले दुष्प्रभाव से बचने के उपाय पूछे। जिसके उत्तर में उन्होंने कहा कि, ‘हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि किसी भी चीज की अति ठीक नहीं होती। हम पेट भरने के बाद अपना मनपसंद खाना नहीं खा सकते है ठीक वैसे ही कितनी भी प्रिय चीज क्यों न आ रही हो, लेकिन मोबाइल की समय सीमा तय करनी पड़ेगी। आजकल तो पूरा परिवार मोबाइल में लगा रहता है, घर में बराबर में बैठकर एक दूसरे को मैसेज करते हैं। मोबाइल के दुष्प्रभाव को रोकने के लिए पूरे परिवार को नियम बनाने होंगे। हम खाने के वक्त कोई गैजेट्स का इस्तेमाल न करें, ऐसा नियम बना सकते हैं। टेक्नोलॉजी से बचने की जरूरत नहीं है, लेकिन उसका सही उपयोग सीखना बेहद जरूरी है। हमारे मोबाइल पर लगा पासवर्ड परिवार के सभी सदस्यों को पता होगा, तो काफी सुधार हो जाएगा। इसके अलावा हमें स्क्रीन टाइम अलर्ट को मॉनीटर करना चाहिए।’

गौरतलब है कि बीते शनिवार यानी 28 जनवरी 2024 को अपने मासिक ‘मन की बात’ प्रसारण में, PM ने जानकारी दी कि इस साल 2.25 करोड़ से अधिक छात्रों ने कार्यक्रम के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। वहीँ जब वर्ष 2018 में जब यह कार्यक्रम पहली बार आयोजित किया गया था तो यह संख्या मात्र 22,000 तक सीमित थी। इस आयोजन को दूरदर्शन पर डीडी नेशनल, डीडी न्यूज और डीडी इंडिया के साथ-साथ प्रमुख निजी चैनलों के माध्यम से लाइव दिखाया गया। साथ ही इस कार्यक्रम को शिक्षा मंत्रालय के यूट्यूब चैनल, फेसबुक लाइव और MoE के ट्विटर अकाउंट पर भी लाइव चलाया गया। कार्यक्रम का प्रसारण रेडियो चैनलों जैसे (ऑल इंडिया रेडियो मीडियम वेव, ऑल इंडिया रेडियो एफएम चैनल), पीएमओ, शिक्षा मंत्रालय, दूरदर्शन, MyGov.in की वेबसाइटों पर भी लाइव वेब स्ट्रीमिंग के माध्यम से किया गया।

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