नई दिल्ली, 30 जनवरी (आईएएनएस)। भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र अभूतपूर्व वृद्धि की ओर बढ़ रहा है। लॉन्च मिशनों में तेजी और हाल ही में 100वें लॉन्च के साथ भारत ने अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में नए मानक स्थापित किए हैं।
जीएसएलवी एफ15 एनवीएस-02 मिशन के सफल लॉन्च ने देश को एक नई दिशा में अग्रसर किया है। इससे भारत ने न सिर्फ अपनी स्वदेशी क्षमताओं को बढ़ाया है बल्कि विदेशी उपग्रहों के लिए एक प्रमुख लॉन्च पैड के रूप में भी अपनी पहचान बनाई है।
भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में कई दशक पहले अपनी शुरुआत की थी, लेकिन 1979 से 2014 तक भारत ने सालाना औसतन 1.2 लॉन्च मिशन किए थे। लेकिन, मोदी सरकार के सत्ता में आते ही 2014 से 2025 के बीच यह आंकड़ा बढ़कर सालाना 5.2 मिशन हो गया है, जो अपने आप में भारत की अंतरिक्ष क्षेत्र में ऊंची छलांग को दर्शाता है।
अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में हो रहे इस क्रांतिकारी बदलाव के साथ भारत अब स्पेस लॉन्च पैड के लिए एक प्रमुख वैश्विक केंद्र बन चुका है। अंतरिक्ष की ओर पहुंचने का तरीका अधिक कुशल और किफायती हो गया है। अब, भारत को उपग्रह लॉन्च करने के लिए दुनिया में प्रमुख पसंद माना जा रहा है। भारत ने 1979 से 2014 तक 106 उपग्रहों को लॉन्च किया था, वहीं 2014 से 2025 तक यह संख्या बढ़कर 457 हो गई है।
उपग्रह प्रक्षेपण में भारत की विशेषज्ञता वैश्विक स्तर पर भरोसा हासिल कर रही है। मुट्ठी भर विदेशी उपग्रहों को लॉन्च करने से लेकर एक प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी बनने तक, अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत का उदय अभूतपूर्व है।
अब, भारत अंतरिक्ष यात्रा करने वाले देशों के लिए पसंदीदा विकल्प है। भारत ने 1979 से 2014 तक 35 विदेशी उपग्रहों को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था, जबकि 2014 से 2025 तक यह आंकड़ा 398 विदेशी उपग्रहों तक पहुंच गया है।
अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “जब अंतरिक्ष क्षेत्र की बात आती है, तो भारत पर दांव लगाएं!”
–आईएएनएस
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