पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप एक जैसे, दोनों ऑन द स्पॉट लेते हैं अपने फैसले


नई दिल्ली, 17 मार्च (आईएएनएस)। पीएम मोदी ने अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन के साथ कई वैश्विक मुद्दों समेत अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अपने रिश्तों के बारे में चर्चा की। इस दौरान उन्होंने अमेरिका में हुए ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम का भी जिक्र किया। ऐसे में पूर्व राजनयिक दीपक वोहरा ने पीएम मोदी के अन्य वैश्विक नेताओं के साथ रिश्ते को लेकर खास बात की। उन्होंने बताया कि पीएम मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक जैसे हैं, दोनों अपने फैसले ऑन द स्पाट लेते हैं।

पूर्व राजनयिक दीपक वोहरा ने बताया, “जब अमेरिका में हाउडी मोदी इवेंट था, उस समय मैं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिला था। पीएम मोदी ने राष्ट्रपति से कहा था, कार्यक्रम में इतने सारे लोग आए हैं, चलिए सैर करते और सभी से मिलते हैं। इसके बाद ट्रंप ने अपनी सिक्योरिटी से पीछे हटने के लिए कहा और सभी से मिलने चले गए। राष्ट्रपति ट्रंप अपने फैसले ऑन द स्पॉट खुद करते हैं। ऐसे ही पीएम मोदी भी करते हैं। यही कारण है कि शीर्ष नेताओं के बीच गहरी दोस्ती और एक-दूसरे पर भरोसा है। मेरा मानना है कि पीएम मोदी सभी सलाहकारों की बात सुनते हैं और निर्णय अपना करते हैं।”

यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध में टेबल पर बैठकर बातचीत करने से इसका हल किया जा सकता है। पीएम मोदी की इस टिप्पणी पर पूर्व राजनयिक दीपक वोहरा ने कहा, “मुझे कूटनीति के क्षेत्र में कुल 53 साल हो गए। मैंने बहुत से देशों में जंग देखी है। हाल ही में मैं जब सूडान और दक्षिण सूडान में राजदूत था। वहां पर जंग होती थी, लेकिन वे टेबल पर बैठकर बातचीत करते थे। 10 मिनट के बाद सारे समझौते ठप्प हो जाते थे और फिर जंग होता था। लेकिन, अंत में जब कोई जंग रूका तो वो टेबल पर समझौता होने के बाद।”

उन्होंने आगे कहा, विश्वयुद्ध में भी यह देखने को मिला कि, जब फौज लड़ते-लड़ते थक गई, तो टेबल पर बैठकर बात करने से युद्ध खत्म हुआ। वहीं, अभी रूस और यूक्रेन का जो युद्ध चल रहा है, इसमें भी अंत में टेबल पर बैठकर ही खत्म करना होगा। ऐसे में पीएम मोदी इस पर बिल्कुल सही हैं।

पड़ोसी मुल्क चीन को लेकर पीएम मोदी के दिए स्टेटमेंट पर पूर्व राजनयिक ने कहा, पीएम मोदी ने बिल्कुल सही कहा कि 2020 में गलवान घाटी में जो हुआ था, उसके बाद स्थिति काफी बेहतर हो चुकी है। लेकिन, एक चीज है कि हम भरोसा नहीं कर सकते। चीन की छवि ऐसी ही रही है कि वो कहता कुछ है और करता कुछ है।

–आईएएनएस

एससीएच/जीकेटी


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