पीडीपी ने अमरनाथ यात्रा रूट पर हो रहे सड़क निर्माण को लेकर उठाए सवाल


जम्मू, 5 मार्च (आईएएनएस)। पीडीपी विधायक वहीद उर रहमान पारा ने अमरनाथ यात्रा के बालटाल रूट से पवित्र गुफा तक सड़क निर्माण का विरोध किया है। उन्होंने इसके पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव की चर्चा की। पारा ने मंगलवार को राज्य के विधानसभा सदन में एक प्रश्न के माध्यम से इस मुद्दे को उठाया था। बुधवार को उन्होंने मीडिया कर्मियों के समक्ष भी बात दोहराई। वहीं, राज्य के उप मुख्यमंत्री सुरेंद्र चौधरी ने उनकी बातों को पब्लिसिटी स्टंट करार दिया।

पारा ने कहा, “हमारी मुख्य चिंता यह है कि पिछले कुछ सालों में जम्मू-कश्मीर में विकास के नाम पर अत्यधिक विनाश हो रहा है। बड़े प्रोजेक्ट्स जैसे रेलवे, सड़कें, सेटेलाइट टाउनशिप और नए औद्योगिक नीति के तहत ली जा रही जमीनें, इन सभी में स्थानीय लोगों की राय को नजरअंदाज किया जा रहा है। यह क्षेत्र बेहद नाजुक पारिस्थितिकी के तहत आता है, जैसा कि आपने देखा कि इस वर्ष सूखा पड़ा और जल स्तर बहुत नीचे चला गया। साथ ही, मिट्टी की कटाई और खनन गतिविधियों ने और भी नुकसान किया है। विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर में बड़े पैमाने पर खनन माफिया काम कर रहा है, जिससे पर्यावरणीय संकट और विनाश हो रहा है।”

उन्होंने आगे कहा, “हमने सरकार से यह पूछा था कि क्या हर प्रोजेक्ट का पर्यावरणीय आकलन होता है, चाहे वह सड़क हो, रेलवे हो, बड़ी सुरंग हो या कोई अन्य बड़ा प्रोजेक्ट। यह आकलन आवश्यक है ताकि यह समझा जा सके कि जल स्तर क्यों घट रहा है? क्या जलवायु परिवर्तन की वजह से पर्यावरण पर प्रभाव पड़ रहा है? हम देख रहे हैं कि सूखा और अन्य पर्यावरणीय समस्याएं बढ़ रही हैं, और इसका कारण विकास के नाम पर पर्यावरण से छेड़छाड़ करना है। जम्मू और कश्मीर के कश्मीर क्षेत्र में, जो कि बेहद नाजुक पारिस्थितिकी के तहत आता है, यह और भी चिंताजनक है।”

उन्होंने कहा, “हमारे पर्यटन क्षेत्र के बारे में भी सवाल उठता है कि कितनी संख्या में पर्यटक आ सकते हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हमारे ग्लेशियर्स और झीलों को कोई नुकसान न पहुंचे। अगर पर्यावरणीय स्थितियों का ध्यान नहीं रखा गया तो यह पर्यटन क्षेत्र भी संकट में पड़ सकता है, क्योंकि पर्यटन तब तक संभव नहीं है जब तक हमारे जल स्रोत, ग्लेशियर्स और प्राकृतिक संसाधन सुरक्षित नहीं होते। आज, जम्मू और कश्मीर के कई नदियों में पानी की कमी हो रही है और खनन गतिविधियों के कारण जलाशयों में भी कमी आई है। इसलिए हमारी यह मांग है कि जम्मू और कश्मीर में हो रहे सभी विकास कार्यों के लिए पर्यावरणीय आकलन किया जाए, ताकि हम इस नाजुक पारिस्थितिकी को बचा सकें।”

जम्मू -कश्मीर के उप मुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने कहा कि पीडीपी के पास अब कोई काम नहीं बचा है इसलिए सुर्खियों में रहने के लिए वह ऐसे बयान देते हैं। उन्होंने कहा, “जहां तक पीडीपी की बात है, हमें हर रोज उनकी बातें नहीं सुननी चाहिए, क्योंकि यह एक निराशाजनक पार्टी है जिसका जम्मू और कश्मीर में कोई खास अस्तित्व नहीं बचा है। उनका आज कोई ठोस योगदान नहीं है, इसलिए वे मीडिया में बने रहने के लिए ऐसी खबरें फैलाते रहते हैं, जिनसे राज्य को कोई लाभ नहीं होता। जम्मू और कश्मीर आज अपनी समस्याओं और चुनौतियों से जूझ रहा है। यहां लोग बेरोजगारी से परेशान हैं और युवाओं को रोजगार की जरूरत है। पीने का पानी, अच्छे स्कूल और अस्पतालों की आवश्यकता है, और लोग इन मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं। उमर अब्दुल्ला की सरकार इन समस्याओं का समाधान करने के लिए काम कर रही है। उमर अब्दुल्ला सरकार पूरी कोशिश कर रही है कि पिछले दस सालों में जो काम नहीं हो पाया, उसे वह अगले पांच सालों में पूरा करे। अभी तो सिर्फ तीन महीने हुए हैं, इसलिए हमें आगे की प्रगति देखनी होगी।”

–आईएएनएस

पीएसएम/केआर


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