बलूचिस्तान में नागरिकों पर पाकिस्तानी सेना की कार्रवाई जारी


क्वेटा, 11 अक्टूबर (आईएएनएस)। प्रमुख मानवाधिकार संगठनों ने कहा कि पाकिस्तानी सेना द्वारा कई बलूच नागरिकों को जबरन गायब कर दिया गया है, क्योंकि प्रांत भर में जबरन गायब किए जाने, हत्याओं और यातनाओं के बीच उत्पीड़न का चक्र जारी है।

बलूच नेशनल मूवमेंट के मानवाधिकार विभाग, पांक ने प्रांत के केच जिले के मांड निवासी नाबालिग छात्र खुदादाद बलूच के जबरन लापता होने पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। खुदादाद को पाकिस्तानी सेना ने 8 अक्टूबर को केच के जरेनबोग गांव से तीन अन्य लोगों के साथ अगवा कर लिया था।

इस घटना की निंदा करते हुए एक अन्य मानवाधिकार संस्था, बलूच वॉयस फॉर जस्टिस (बीवीजे) ने कहा, “यह मामला बलूचिस्तान में लगातार और चिंताजनक प्रवृत्ति को दर्शाता है, जहां छात्रों सहित नागरिकों को जबरन गायब किया जाता है, गैरकानूनी हिरासत में रखा जाता है और सरकारी अधिकारियों द्वारा धमकाया जाता है।”

मानवाधिकार संस्था ने कहा कि इस तरह की प्रथाएं भय पैदा करती हैं और असहमति को दबा देती हैं, जिससे बुनियादी मानवाधिकार सुरक्षा कमजोर होती है।

मानवाधिकार संस्थाओं ने पाकिस्तान सरकार से खुदादाद बलूच के ठिकाने का तुरंत खुलासा करने, उनकी सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित करने और जबरन गायब करने की प्रथा को समाप्त करने का आग्रह किया। इसने अधिकारियों से निष्पक्ष और पारदर्शी जांच करने और जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराने का भी आह्वान किया।

इस बीच, जबरन गायब होने की एक और घटना पर प्रकाश डालते हुए, पांक ने बताया कि 10 अक्टूबर की रात को, प्रांत के तुर्बत शहर के श्रींकन निवासी अब्दुल सत्तार और मुहम्मद हासिल को पाकिस्तानी सेना ने कराची के रईस गोथ इलाके से जबरन गायब कर दिया। दोनों व्यक्ति संयुक्त अरब अमीरात में कार्यरत विदेशी श्रमिक हैं और हाल ही में स्वदेश लौटे हैं।

मानवाधिकार संस्था बीवीजे ने चिंता जताते हुए कहा, “उनका अपहरण जबरन गायब होने के बढ़ते चलन को दर्शाता है, जहां विदेश से लौटे लोगों सहित बलूच नागरिकों को बिना किसी उचित प्रक्रिया के निशाना बनाया जाता है।”

बीवीजे ने पाकिस्तानी अधिकारियों को उनकी सुरक्षा के लिए पूरी तरह जिम्मेदार ठहराया और उनकी तत्काल रिहाई की मांग की। उन्होंने ऐसे अपराधों के लिए जारी दंडहीनता को अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का गंभीर उल्लंघन बताया।

इसके अतिरिक्त, पांक ने बताया कि 30 सितंबर को, एक अन्य बलूच नागरिक, नूर जान, जो अवारन जिले के परवार निवासी हैं, को पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने जबरन गायब कर दिया। पेशे से मजदूर नूर जान को बिना किसी कानूनी वारंट या स्पष्टीकरण के ले जाया गया।

इस हफ्ते की शुरुआत में, बलूच महिला फोरम (बीडब्ल्यूएफ) की केंद्रीय संयोजक, शाली बलूच ने बताया कि बलूचिस्तान के अवारन शहर में एक विरोध रैली आयोजित की गई, जहां लोगों ने बलूच युवकों, सगीर बलूच और इकरार जंगियां के जबरन गायब होने के खिलाफ जोरदार नारे लगाए। सगीर और इकरार दोनों को 11 जून को पाकिस्तानी सेना ने प्रांत के ग्वादर जिले के ओरमारा से अगवा कर लिया था।

शाली ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “जबरन गायब होने की घटनाओं ने न केवल बलूच राष्ट्रीय वर्तमान को आघात पहुंचाया है, बल्कि समाज के सुरक्षित और उज्ज्वल भविष्य को भी प्रभावित किया, जहां युवा और नए दिमाग, अनुभवी बुजुर्गों के साथ राज्य की अवैध जेलों में अनुचित यातनाएं झेल रहे हैं।”

–आईएएनएस

डीकेपी/


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