सिंहावलोकन 2025: हादसों ने देश को दिया गहरा जख्म, काल बनकर आया जून महीना और गईं सैकड़ों जान

नई दिल्ली, 28 दिसंबर (आईएएनएस)। साल 2025 में एक ओर देश ने कई उपलब्धियां हासिल की, वहीं दूसरी ओर उम्मीदों से ज्यादा घाव देकर गया। कहीं आस्था की भीड़ जानलेवा बन गई, कहीं जश्न मातम में बदल गया, तो कहीं तकनीक और लापरवाही ने सैकड़ों घरों के चिराग बुझा दिए। इन घटनाओं में प्रयागराज महाकुंभ की भगदड़ से लेकर हाल के दिनों में गोवा के नाइट क्लब में हुआ अग्निकांड शामिल है। दिसंबर के महीने में भी कई बड़े हादसों में बड़ी संख्या में लोगों की जानें गंवाईं।
पिछले दो हफ्तों में देश के अलग-अलग राज्यों में तीन दर्दनाक बस हादसे हुए। तमिलनाडु के कडलूर में हुए दर्दनाक हादसे में 9 लोगों की जान चली गई। कर्नाटक के चित्रदुर्ग में टक्कर के बाद स्लीपर बस में आग लगने से 7 लोगों की मौत हो गई। वहीं, उत्तर प्रदेश के मथुरा में यमुना एक्सप्रेसवे पर भी टक्कर के बाद कई वाहन आपस में टकराए थे। इस हादसे के दौरान बसों में आग लग गई और 18 लोग मारे गए।
6 दिसंबर की रात गोवा के नाइट क्लब में हुए अग्निकांड ने देश को झकझोर दिया। नाइट क्लब में लगी आग में कम से कम 25 लोगों की मौत हो गई, जबकि छह अन्य घायल हुए।
27 सितंबर में तमिलनाडु के करूर में भगदड़ की घटना हुई। यह घटना वेलुचमिपुरम में हुई थी, जब टीवीके नेता और अभिनेता विजय के एक बड़े कार्यक्रम में भारी भीड़ जमा हुई। इतनी बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होने के कारण स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई और 41 लोगों की जान चली गई। इसके अलावा 60 से अधिक लोग घायल हुए।
जून महीने के आखिर में तेलंगाना के पाशमेलारम स्थित एक फार्मास्यूटिकल इकाई में विस्फोट हुआ। इस घटना में 30 से अधिक लोग मारे गए। ये विस्फोट सिगाची इंडस्ट्रीज लिमिटेड के फार्मास्यूटिकल कारखाने में माइक्रोक्रिस्टलाइन सेलूलोज ड्राइंग यूनिट में हुआ था।
12 जून को अहमदाबाद में एयर इंडिया का बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ, जिसमें कम से कम 260 लोगों की जान चली गई। मरने वालों में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी शामिल थे। विमान में सवार 242 यात्रियों में से 241 की मौत हो गई। हादसे के दौरान विमान एक मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल पर गिरा, जिससे वहां मौजूद 19 लोगों की भी जान चली गई।
9 जून को मुंबई में लोकल ट्रेनों की भीड़ एक बार फिर जानलेवा साबित हुई। मुंब्रा के पास दो ट्रेनों के बीच अत्यधिक भीड़ के कारण कई यात्री ट्रेन से गिर गए। इस हादसे में कम से कम चार यात्रियों की मौत हो गई।
4 जून को बेंगलुरु में एक दुखद घटना हुई। रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु की आईपीएल जीत के जश्न के दौरान बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर भारी भीड़ उमड़ी थी। उत्साह और अव्यवस्था के बीच मची भगदड़ में 11 लोगों की जान चली गई और दर्जनों लोग घायल हो गए। जो पल खुशी का होना चाहिए था, वह कई परिवारों के लिए जिंदगीभर का दुख दे गया।
मई महीने की शुरुआत में उत्तरी गोवा के बिचोलिम तालुका के शिरगांव गांव में श्री लैराई देवी मंदिर की वार्षिक ‘लैराई जात्रा’ के दौरान भगदड़ मची। इस हादसे में 5 से अधिक लोगों की मौत हो गई।
15 फरवरी में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ में कम से कम 18 लोग मारे गए। स्टेशन पर प्रयागराज जाने वाली ट्रेनों के इंतजार में प्लेटफॉर्म नंबर 14 और 15 पर भारी भीड़ जमा हो गई। ट्रेन के लेट होने और प्लेटफॉर्म बदलने की अफवाह ने अफरातफरी मचा दी, जो देखते ही देखते भगदड़ में बदल गई थी।
29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज महाकुंभ में लगभग 37 लोग भगदड़ के कारण मारे गए। महाकुंभ में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी थी। संगम तट पर हालात उस वक्त बेकाबू हो गए जब भीड़ के दबाव में बैरिकेड टूट गए और स्नान के इंतजार में खड़े लोग एक-दूसरे के नीचे दबते चले गए। इस दर्दनाक हादसे में 30 महिलाओं और 7 पुरुषों की जान चली गई।
–आईएएनएस
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