केरल में विपक्ष के नेता सतीसन बोले : अदालतें आलोचना कर सकती हैं, पर याचिकाकर्ताओं को कमजोर नहीं कर सकतीं

केरल में विपक्ष के नेता सतीसन बोले : अदालतें आलोचना कर सकती हैं, पर याचिकाकर्ताओं को कमजोर नहीं कर सकतीं

कोच्चि, 16 जनवरी (आईएएनएस)। केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता वी.डी. सतीसन द्वारा दायर एक जनहित याचिका को उच्च न्यायालय द्वारा खारिज कर दिए जाने के अगले दिन मंगलवार को कांग्रेस नेता ने कहा कि अदालतें आलोचना कर सकती हैं, लेकिन याचिकाकर्ताओं को “कमजोर” नहीं कर सकतीं। अदालत ने कहा था कि यह याचिका जनहित की नहीं, प्रचारहित की लगती है।

कन्नूर में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए सतीसन ने कहा कि उन्होंने राज्य सरकार की केरल फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क (के-फॉन) परियोजना की सीबीआई जांच की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

उन्होंने कहा, “यह प्रचार के लिए कैसे हो सकता है? किसी जनसभा या मीडिया में बोलने से ही प्रचार मिलता है, न कि तब जब कोई अदालत का दरवाजा खटखटाता है। एक वकील होने के नाते मुझे पता है कि जनहित याचिका और संविधान क्या है। जब सरकार से न्याय नहीं मिलता है, तब जनता न्यायपालिका का दरवाजा खटखटाती है।”

सतीसन ने कहा, “जब मैं न्याय मांगने के लिए अदालत में गया, तो मेरी सिर्फ आलोचना नहीं की गई, बल्कि मुझे अपमानित किया गया। जब जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग न्याय के लिए अदालतों का रुख करते हैं, अगर उन्हें अपमानित किया जाएगा, तो लोगों का सिस्टम से विश्‍वास उठ जाएगा। हम बहुत सम्मान के साथ अदालत की कार्यवाही पर नजर रख रहे हैं।”

मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की पसंदीदा परियोजना के-फॉन ने 30,000 सरकारी कार्यालयों के अलावा 20 लाख घरों के लिए मुफ्त इंटरनेट का वादा किया था। प्रोजेक्‍ट 2017 में लॉन्च किया गया था। इसे केरल राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड (केएसईबी) के विद्युत ऊर्जा नेटवर्क के समानांतर बनाए गए एक नए ऑप्टिक फाइबर मार्ग के माध्यम से पूरा किया जाना था।

सतीसन ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि परियोजना और इससे उत्पन्न सभी अनुबंध सरकार को नियंत्रित करने वाले लोगों के प्रतिनिधियों के बीच बांट दिए गए। उन्होंने दावा किया कि परियोजना में शामिल सभी निविदाएं एक ही लाभार्थी कंपनी को दी गई हैं, जो सत्ता में बैठे व्यक्तियों से निकटता से जुड़ी हुई है।

–आईएएनएस

एसजीके/

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