ऑपरेशन डेजर्ट शील्ड, जिसने कुवैत को इराक के कब्जे से मुक्त कराकर सद्दाम हुसैन का वर्चस्व खत्म किया

ऑपरेशन डेजर्ट शील्ड, जिसने कुवैत को इराक के कब्जे से मुक्त कराकर सद्दाम हुसैन का वर्चस्व खत्म किया

नई दिल्ली, 7 अगस्त (आईएएनएस)। साल 1990, विश्व इतिहास के उन वर्षों में से एक है जिसने भू राजनीतिक परिदृश्य को हमेशा के लिए बदल दिया। इसी दिन इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन ने अपने पड़ोसी देश कुवैत पर आक्रमण कर दिया। आज हम 7 अगस्त की तारीख के इतिहास में नाटो के सहयोगियों और उसके मित्र देशों द्वारा इराक के खिलाफ लड़े गए युद्ध में चलाए गए इस महत्वपूर्ण ऑपरेशन के बारे में बताएंगे, जिसने इराक में सद्दाम हुसैन की सत्ता को उखाड़ फेंकने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इराक का कुवैत पर आक्रमण इराक-ईरान युद्ध के दौरान कुवैत द्वारा इराक को दिए गए कर्ज को न चुका पाने के बाद, इराक की कर्जमाफी की अपील को कुवैत द्वारा ठुकराए जाने और कुवैत के तेल के भंडारों पर नियंत्रण पाने व मध्य पूर्व एशिया में अपने प्रभाव को बढ़ाने की सद्दाम हुसैन की महत्वाकांक्षा का परिणाम था।

इस घटना ने दुनिया को हिलाकर रख दिया। इराक के कुवैत पर आक्रमण से पूरी दुनिया में कच्चे तेल की कीमतों में भारी उछाल आ गया।

अमेरिका ने इराक के इस आक्रमण को अंतर्राष्ट्रीय शांति के लिए खतरा मानते हुए तुरंत कार्रवाई की। अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज एच डब्ल्यू बुश ने सऊदी अरब में अमेरिकी सैनिकों को तैनात करने का आदेश दिया और आज ही के दिन 7 अगस्त 1990 को ऑपरेशन डेजर्ट शील्ड शुरू किया। इस ऑपरेशन का उद्देश्य कुवैत को इराकी कब्जे से मुक्त कराना और क्षेत्र में शांति बहाल करना था।

अमेरिका के इस कदम का दुनिया भर के देशों ने समर्थन किया। अमेरिका की अगुआई में कुल 38 देशों के गठबंधन ने इराक के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इस गठबंधन में अमेरिका के अलावा ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, और कई अन्य देश शामिल थे। इन देशों ने सऊदी अरब में अपनी सेनाएं तैनात की और इराक के खिलाफ सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया।

सद्दाम हुसैन ने गठबंधन की धमकियों को नजरअंदाज करते हुए कुवैत से हटने से इनकार कर दिया। इस पर गठबंधन ने इराक के खिलाफ हवाई हमले शुरू कर दिए। हवाई हमलों में इराक के सैन्य ठिकाने, तेल के कुएं और अन्य महत्वपूर्ण संरचनाएं तबाह हुईं। हवाई हमलों के बाद गठबंधन की जमीनी सेनाओं ने इराक पर हमला कर दिया।

कुवैत को मुक्त कराने के लिए हुए इस युद्ध को ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म नाम दिया गया। यह युद्ध बहुत ही कम समय में लड़ा गया और गठबंधन की जीत हुई। इराक को कुवैत से अपनी सेनाएं वापस लेनी पड़ी और सद्दाम हुसैन को अपनी महत्वाकांक्षाओं से हाथ धोना पड़ा।

ऑपरेशन डेजर्ट शील्ड और डेजर्ट स्टॉर्म एक ऐतिहासिक घटना थी। इस घटना ने दिखाया कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय एकजुट होकर किसी भी तानाशाह का सामना कर सकता है। इस घटना ने यह भी दिखाया कि तेल के भंडारों पर नियंत्रण पाने की महत्वाकांक्षा कितनी खतरनाक हो सकती है।

इस युद्ध के दूरगामी प्रभाव आज भी महसूस किए जाते हैं। इस युद्ध ने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में नए समीकरण स्थापित किए। युद्ध के बाद मध्य पूर्व में राजनीतिक परिदृश्य पूरी तरह बदल गया। सद्दाम हुसैन के पतन के बाद क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ गई। साथ ही युद्ध के कारण तेल की कीमतों में भारी उछाल आया जिसका दुनिया की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ा।

ऑपरेशन डेजर्ट शील्ड और डेजर्ट स्टॉर्म एक ऐसा ऑपरेशन था जिसने मध्य पूर्व की राजनीति को एकदम बदल कर इराक को पतन की ओर धकेल दिया। ऑपरेशन डेजर्ट शील्ड अगस्त 1990 से जनवरी 1991 तक चला। इस युद्ध के बाद इराक के खिलाफ अमेरिका चुप नहीं बैठा। अमेरिका ने कई और युद्ध और ऑपरेशन चला कर इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन को पकड़ लिया और फांसी पर लटका दिया।

–आईएएनएस

पीएसएम/एसकेपी

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