यूनानी चिकित्सा को आधुनिक चिकित्सा के साथ एकीकृत करने पर आयुष मंत्रालय कर रहा काम : प्रतापराव जाधव

नई दिल्ली, 29 मार्च (आईएएनएस)। सरकार ने कहा है कि आयुष मंत्रालय यूनानी सहित आयुष प्रणालियों को आधुनिक चिकित्सा के साथ एकीकृत करने के लिए कई पहल कर रहा है।
केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रतापराव जाधव ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में बताया कि सरकार ने यूनानी चिकित्सा पद्धति में शिक्षा और अनुसंधान के लिए नई दिल्ली में केंद्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान परिषद (सीसीआरयूएम) और बेंगलुरु में राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान (एनआईयूएम) स्थापित किए हैं।
इसमें नई दवाओं का विकास और वैज्ञानिक तरीके से उनका परीक्षण भी शामिल है।
जाधव ने कहा, “उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में 200 बिस्तरों वाला एक अस्पताल के साथ राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान का एक शाखा भी खोला गया है। इसके अलावा, देश भर में सीसीआरयूएम के तहत कुल 21 नैदानिक संस्थान/इकाइयां काम कर रही हैं।”
ये क्लिनिकल संस्थान/इकाइयांं सामान्य ओपीडी, प्रजनन और बाल स्वास्थ्य ओपीडी, वृद्धावस्था ओपीडी, गैर-संचारी रोग क्लीनिक आदि के जरिए इलाज देती हैं।
राज्य मंत्री ने कहा, “सीसीआरयूएम और एनआईयूएम दोनों ने कई बीमारियों पर अनुसंधान अध्ययन किए हैं, जिनमें गठिया, ब्रोन्कियल अस्थमा, एनीमिया, चिंता, अवसाद, न्यूरो-डीजनरेटिव रोग, जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां जैसे उच्च रक्तचाप, मोटापा, डिस्लिपिडेमिया, मधुमेह और त्वचा के रोग जैसे विटिलिगो आदि शामिल हैं।”
देश में आयुष और यूनानी चिकित्सा पद्धतियों को मुख्यधारा की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में शामिल करने के लिए, सीसीआरयूएम कई सरकारी अस्पतालों में पुनर्वास और विस्तार केंद्रों के जरिए स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहा है। इन केंद्रों को यूनानी उपचार को आम लोगों के लिए सुलभ और सस्ता बनाने के लिए स्थापित किया गया है।
सीसीआरयूएम जनता के लिए सेवाओं को सुलभ और सस्ती बनाने के लिए पूर्व-नैदानिक और नैदानिक अनुसंधान, औषधि मानकीकरण, मौलिक अनुसंधान और अन्य विभिन्न अनुसंधान कार्यक्रम चला रहा है।
पांच मोबाइल ऐप्स विकसित किए गए हैं और इलाज-बीट तदबीर (आईबीटी) पर मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की जा रही है। मस्कुलोस्केलेटल विकारों (हड्डी और मांसपेशियों से जुड़ी बीमारियां) के लिए मानक उपचार दिशानिर्देश भी बनाए गए हैं।
अन्य उपायों में स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) के तहत आयुष वर्टिकल शामिल है, जो आयुष से जुड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य योजनाओं की योजना बनाने, निगरानी करने और पर्यवेक्षण करने के लिए एक विशेष तंत्र है।
जाधव ने कहा कि यह विभाग सार्वजनिक स्वास्थ्य, स्वास्थ्य सेवा, आयुष शिक्षा और प्रशिक्षण के लिए रणनीतियां बनाने में दोनों मंत्रालयों को तकनीकी मदद प्रदान करता है।
इसके अलावा, आयुष मंत्रालय और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने मिलकर केंद्र सरकार के अस्पतालों में एकीकृत आयुष विभाग स्थापित किए हैं, ताकि एकीकृत स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ावा दिया जा सके।
इस पहल के एक भाग के रूप में एकीकृत चिकित्सा विभाग की स्थापना की गई है तथा यह वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज, सफदरजंग अस्पताल और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली में कार्यरत है।
सरकार ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी), सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) और जिला अस्पतालों (डीएच) में आयुष सुविधाओं को एक साथ स्थापित करने की रणनीति भी अपनाई है, जिससे मरीजों को एक ही स्थान पर विभिन्न चिकित्सा प्रणालियों के लिए विकल्प चुनने में सुविधा होगी।
–आईएएनएस
एसएचके/सीबीटी